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उत्तराखण्ड

हनुमान जी ने फूंकी रावण की लंका, विभीषण पहुंचे श्री राम जी की सरण

लीला का मंचन देखने पहुंचे अतिथियों का पदाधिकारीयों ने किया स्वागत

हरिद्वार। श्री रामलीला समिति रजि. मौ.लक्कड़हारान ज्वालापुर हरिद्वार की ओर से चल रही श्रीराम लीला में शुक्रवार को लंकादहन, विभीषण शरणागति सहित विभिन्न लीलालों का मंचन हुआ। भगवान श्री राम की आरती से शुरू हुई लीला में लंका दहन के दृश्य में जहां दर्शकों का उत्साह देखते बन रहा था वहीं अशोक वाटिका के प्रसंग ने भावुक कर दिया। श्री रामलीला समिति के निर्देशक सुरेन्द्र सिखौला ने कथा सूत्र पर प्रकाश डालते हुये बताया कि प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण के कहने पर वानरों के राजा सुग्रीव जी वानर सेना को अलग अलग दिशाओं में भेजते हैं, दक्षिण दिशा में महाबली हनुमानजी को बलवान बन्दरो की सेना के साथ माता सीता की खोज में भेजा जाता है। जामवंत जी द्वारा हनुमानजी के बल का परिचय कराने के बाद हनुमानजी वायु मार्ग से लंका की ओर बढ़ते हैं रास्ते, सर्पों की माता सुरसा की परीक्षा में को पूर्ण करते हुऐ इसी बीच हनुमान जी लंका में प्रवेश करते हैं, जहां लंकिनी से मुलाकात होती है, रास्ता रोकने पर उसे मुष्टिका से मारकर घायल कर देते हैं। लंकिनी ब्रह्मा के वरदान को याद करके हनुमान को आर्शीवाद देती है। अशोक वाटिका में हनुमान जी की माता सीता से भेंट होती है, फिर आज्ञा लेकर अशोक वाटिका में वृक्षों को तहस-नहस कर फलों को खाते हैं। राक्षसों की पुकार पर रावण अपने पुत्र अक्षय कुमार भेजता है, हनुमान जी द्वारा जिसका वध कर दिया जाता है, फिर मेघनाथ आता है और हनुमान जी को बंधक बनाकर रावण के दरबार में ले जाता है, रावण क्रोधित होकर हनुमान की पूंछ में आग लगा देता है, जिसके बाद हनुमान लंका जलाकर राख कर देते हैं। जब विभीषण ने रावण को समझाया कि राम से बैर त्याग कर सीता माता को वापस राम के पास भेज देना चाहिये। रावण ने क्रोध में आकर विभीषण को लात मार कर लंका से भगा दिया तब विभीषण राम जी की शरण में आकर अभय हो गया। रामलीला का मंचन देखने पहुंचे अतिथियों का श्री रामलीला समिति के पदाधिकारों ने रामलीला समिति के अध्यक्ष राम जी सरदार, निर्देशक सुरेन्द्र सिखौला,प्रबंधक-अमित शास्त्री, स्वागतमन्त्री-उदित वशिष्ठ,नरेन्द्र अधिकारी, विशाल सिखौला, मनोज चक्रपाणि, आशुतोष चक्रपाणि, प्रवीण खेड़ेवाले, सुमित सरदार, शोभित खेड़ेवाले, तन्मय सरदार, शोभित बदनके, आदि ने अतिथियों का माल्यर्पण एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।

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