उत्तराखण्ड
गुरु अरजन विटोह कुर्बानी
गुरु अरजन विटोह कुर्बानी
शहीदों के सरताज साहिब श्री गुरु अरजुन देव जी का शहीदी पर्व आज गुरद्वारा सिंघ सभा मे बहुत सहजता से मनाया गया ।धार्मिक दिवान की शुरुवात सुबह 10 बजे हजूरी रागी भाई नाज़र सिंघ एवं साथियो ने करी उपरन्त कीर्तनिये भाई गुरदेव सिंघ(हरगोबिंदसर) किच्छा से आये ने कीर्तन की हाज़री भरी। भाई गुरदेव सिंघ एवं साथियो ने रसभिना कीर्तन कलजुग जहाज अरजन गुरु व जपयो जिन अरजन देव गुरु आदि शब्दो का गायन करा। लुधियाना से आये प्रचारक भाई बलदेव सिंघ जी ने विस्तार से गुरु साहिब के जीवन से जुड़ी साखियों व शिक्षाओ के बारे में संगत को अवगत कराया।गुरु साहिब की शहीदी किन किन कारणों से हुई बताया।उनोहने बताया कि गुरु साहिब ने गुरु ग्रंथ साहिब की संपादना कर के संसार को ऐसे ज्ञान का खजाना दे दिया जिसे ग्रहण कर के कोई भी मनुष्य उस प्रभु को सहज रूप में पा सकता है।गुरु साहिब ने सुखमनी साहिब की बानी में बताया कि मानुख की टेक बिरथी सभ जान,देवन को ऐके भगवान भाव किसी भी मनुष्य के हाथ मे कुछ नही है सब उस प्रभु के हाथ मे है इसलिए हमें उस पर ही टेक रखनी चाहिए किसी मनुष्य पर नही।धर्म की परिभाषा बताते हुए गुरु साहिब ने कहा सरब धर्म मे श्रेष्ठ धर्म,हर को नाम जप निर्मल कर्म भाव वही धर्म सबसे उत्तम है जिसमे उस प्रभु की आराधना के साथ साथ इंसान को निर्मल कर्म करने पर जोर दिया गया हो।उपरन्त हेड ग्रंथि अमरीक सिंघ जी ने अरदास,हुकमनामा लिया।समूह संगत ने गुरु का लंगर छका।इस बीच छबील(मीठी लस्सी) का लंगर चलता रहा।प्रोग्राम में मुख्य सेवादार रंजीत सिंघ,अमरजीत सिंघ,जगजीत सिंघ,जसवंत सिंघ,रविंदरपाल सिंघ,तजिंदर सिंघ,जगमोहन सिंघ,अमरपाल सिंघ,सतपाल सिंघ,अजादविन्दर सिंघ आदि मौजूद रहे।