Connect with us

उत्तराखण्ड

राज्यपाल Lt Gen Gurmit Singh ने राजभवन से गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज, हरिद्वार की स्थापना के शताब्दी समारोह को बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली सम्बोधित किया।

राज्यपाल Lt Gen Gurmit Singh ने शनिवार को राजभवन से गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज, हरिद्वार की स्थापना के शताब्दी समारोह को बतौर मुख्य अतिथि वर्चुअली सम्बोधित किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं महान शिक्षाविद् स्वामी श्रद्धानंद जी द्वारा स्थापित गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा शास्त्र ही नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है। स्वास्थ्य संरक्षण और स्वास्थ्य संवर्धन में आयुर्वेद की विशेष भूमिका है। आज रोग से सुरक्षा हेतु रोग प्रतिरोधक क्षमता को उन्नत करने में आयुर्वेद की औषधियों की भूमिका वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरी है। हाल ही में कोरोना महामारी में आयुर्वेद चिकित्सा की सार्थकता साबित हुई है।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद के नियमों के अनुसार यदि हम अपनी दिनचर्या, रात्रिचर्या तथा साथ ही ऋतुचर्या का पालन करें तो हम अपने आप को बीमार पड़ने से बचा सकते हैं। पंचकर्म चिकित्सा, क्षारसूत्र चिकित्सा, रसायन जड़ी बूटियों का प्रयोग आयुर्वेद की ऐसी विधाएँ हैं जिन्होंने आयुर्वेद के वैश्वीकरण में अहम भूमिका निभायी हैं। राज्यपाल ने कहा कि इस संस्थान से विद्या अर्जित करने वाले बड़े-बड़े वैद्य और चिकित्सकों ने इस विद्या के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड आयुर्वेद की जन्मभूमि है। हिमालय क्षेत्र से ऋषि मुनियों ने योग और आयुर्वेद के द्वारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ जीवन मुक्त अवस्था प्राप्त करने का मंत्र दिया है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद और मर्म चिकित्सा ऐसी पद्धतियां हैं जिनकी वर्तमान समय में मानव के स्वास्थ्य के संदर्भ मे अहम भूमिका है। यह हर्ष का विषय है कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कालेज आयुर्वेद की प्राचीन विधा -‘मर्म चिकित्सा’ को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं महान शिक्षाविद् स्वामी श्रद्धानंद जी द्वारा स्थापित गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर इस संस्थान से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा शास्त्र ही नहीं बल्कि जीवन जीने की एक कला है। स्वास्थ्य संरक्षण और स्वास्थ्य संवर्धन में आयुर्वेद की विशेष भूमिका है। आज रोग से सुरक्षा हेतु रोग प्रतिरोधक क्षमता को उन्नत करने में आयुर्वेद की औषधियों की भूमिका वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरी है। हाल ही में कोरोना महामारी में आयुर्वेद चिकित्सा की सार्थकता साबित हुई है।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्वेद के नियमों के अनुसार यदि हम अपनी दिनचर्या, रात्रिचर्या तथा साथ ही ऋतुचर्या का पालन करें तो हम अपने आप को बीमार पड़ने से बचा सकते हैं। पंचकर्म चिकित्सा, क्षारसूत्र चिकित्सा, रसायन जड़ी बूटियों का प्रयोग आयुर्वेद की ऐसी विधाएँ हैं जिन्होंने आयुर्वेद के वैश्वीकरण में अहम भूमिका निभायी हैं। राज्यपाल ने कहा कि इस संस्थान से विद्या अर्जित करने वाले बड़े-बड़े वैद्य और चिकित्सकों ने इस विद्या के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड आयुर्वेद की जन्मभूमि है। हिमालय क्षेत्र से ऋषि मुनियों ने योग और आयुर्वेद के द्वारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ जीवन मुक्त अवस्था प्राप्त करने का मंत्र दिया है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद और मर्म चिकित्सा ऐसी पद्धतियां हैं जिनकी वर्तमान समय में मानव के स्वास्थ्य के संदर्भ मे अहम भूमिका है। यह हर्ष का विषय है कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कालेज आयुर्वेद की प्राचीन विधा -‘मर्म चिकित्सा’ को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।


Continue Reading
You may also like...
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page