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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में दस सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहा कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी

हल्द्वानी, , उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में दस सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहा कर्मचारियों का धरना-प्रदर्शन गुरुवार को भी जारी रहा. इस बीच जहां दिन भर विश्वविद्यालय में नारेबाज़ी चलती रही वहीं अपने काम से आने वाले विद्यार्थियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्हें ना तो किताबें मिल पाई और ना ही उनका कार्यालय से संबंधित कोई काम हो पाया. इस वजह से विद्यार्थियों में भी नाराज़गी देखी गई. उन्होंने भी अपनी परेशानी प्रशासन के सामने रखी. विश्वविद्याय की परीक्षाओं का काम भी आंदोलन की वजह से प्रभावित हुआ. कर्मचारी संगठन का कहना है कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ़ से बार-बार मांगों को लटकाये जाने से नाराज़ कर्मचारियों में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक गेट के सामने दिन भर धऱना देकर प्रदर्शन किया और सभा भी की. प्रशासन की तरफ़ से रजिस्ट्रार पीडी पंत ने धरना स्थल पर आंदोलकारियों से बातचीत करने आये लेकिन कर्मचारी किसी वादे के बजाय मांग पूरी करने की लिखित घोषणा पर अड़े रहे. कर्मचारियों में इस बात पर भी रोष दिखा कि प्रशासन धरना ख़त्म होने की अफवाह फैला रहा है.

सभा में बोलते हुए कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष राजेश आर्या ने कहा कि मांगें पूरी होने तक उनका धऱना और कार्य बहिष्कार जारी रहेगा. उन्होंने दो दैनिक भोगी कर्मचारियों की बर्खास्तगी को तुरंत वापस लेने समेत विश्वविद्यालय की कार्य परिषद द्वारा पास होने के बावजूद छह कर्मचारियों को नियमित ना करने पर सवाल उठाये. श्री आर्या ने कहा कि मांगों के पूरा होने तक उनके झुकने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

कर्मचारी नेता हर्षवर्धन लोहनी ने भी उपनल के साथ ही अनुंबंधित और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को समान काम के बदले समान देने की मांग उठायी.

कर्मचारी संगठन के सचिव राहुल नेगी ने कहा कि प्रशासन की तरफ़ से इस बात का भ्रम फैलाया जा रहा है कि आंदोलन से विश्वविद्यालय की बदनामी हो रही है और ये विश्वविद्यालय के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी छात्रों और विश्वविद्यालय के हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन विश्वविद्यालय का हित सिर्फ़ कुछ लोगों का हित नहीं होता.

शिक्षक संघ महासचिव राजेंद्र कैड़ा ने भी प्रशासन से जल्द से जल्द कर्मचारियों की मांग पूरी करने को कहा. उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के बावज़ूद कर्मचारियों के वेतन में विश्वविद्यालय की तरफ़ से पिछले दस साल से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. कई कर्मचारियों को आज भी सिर्फ़ 7 हज़ार रुपये दिये जा रहे हैं.

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षक-कर्मचारी समन्वय समिति और कुलपति के बीच बातचीत भी बेनतीजा रही. कुलपति वेतन बढ़ाने की मांग को वित्त कमेटी और कार्य परिषद की बैठक में ले जाने की बात करते रहे. जबकि कर्मचारी इस बात पर अड़े रहे कि पहले कुलपति सैद्धांतिक तौर वेतन बढ़ाने पर सहमति जताएं और दो बर्खास्त सफ़ाई कर्मचारियों को वापस लें.

धरना प्रदर्शन में बड़ा संख्या में महिला कर्मचारी नेतृत्व की भूमिका में आ रही हैं. कर्मचारी संगठन की सुनीता भास्कर, कंचन बिष्ट, रंजना जोशी, कमला राठौर, छाया देवी, लीला बेलवाल, दीपिका रैकवाल, दिव्या गौड़ दिन भर आंदोलन में जुटी रही. इसके अलावा मोहन बवाड़ी, पंकज बिष्ट, योगेश मिश्रा, चारू जोशी, हर्षवर्धन लोहनी, उमेश खनवाल, मोहन पांडे, रमन लोशाली, निर्मल धोनी, हीरा सिंह, विनय टम्टा, नंदन अधिकारी, प्रमोद जोशी, नवीन जोशी धरना प्रदर्शन की व्यवस्थाओँ को संभालते रहे.

इस बीच शिक्षक संघ अध्यक्ष भूपेन सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में ईमानदार शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए प्रशासन ने दमघोंटू माहौल बना दिया है. उन्होंने ये भी कहा कि कर्मचारियों के साथ ही शिक्षकों को भी दो-दो महीनों के लिए उनका अनुबंध बढ़ाकर प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है. शिक्षक संघ पहले ही प्रशासन को ऐसा ना करने को लेकर ज्ञापन दे चुका है और अगर जल्द ही अनुबंधित शिक्षकों का कार्यकाल कम से कम एक साल के लिए नहीं बढ़ाया गया तो अब तक बाहर से समर्थन दे रहे शिक्षक भी आंदोलन में कूद पड़ेंगे.

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