उत्तराखण्ड
न्याय, स्वतंत्रता, समता का दीप है संविधान-डॉ एमपी सिंह,,
फरीदाबाद. अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने बताया कि आज कि हम अपने ट्रस्ट द्वारा सैक्टर 3 जाट भवन में संविधान दिवस मनाया गया जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने कहा कि संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है। जिला स्तर, प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर संविधान दिवस मनाया जा रहा है।
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया था लेकिन 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को घोषणा की थी कि हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाएगा। इसका पालन राष्ट्र का मार्गदर्शन करने वाले लोकतांत्रिक सिद्धांतों की याद दिलाता है। कोई भी बिना संविधान के नहीं चल सकता है। देश का शासन और सरकार इसी से चलती हैं। सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और पद की नियुक्ति भी इसी से होती है। नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य भी इसी में निहित है। डॉ हृदयेश कुमार ने कहा कि मैं आज आधुनिक भारत का सपना देखने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और सभा के सभी सदस्यों को नमन करता हूं । यह संविधान हमें आजाद देश का आजाद नागरिक होने की भावना एहसास कराता है। संविधान हमारे मौलिक अधिकार दिलाने में मदद करता है तथा हमारी जिम्मेदारियां को भी निर्धारित करता है। यह देश और दुनिया का सबसे बड़ा लिखित ग्रंथ है। यह हर जाति, धर्म का मान है और हमारे सपनों का सम्मान है संविधान में भारत की आत्मा निहित है। यह भारत की शान है। इस अवसर पर रोजगार कार्यालय से डॉ नेहा, डिजिटल मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड से श्रीमती बरखा, पी इम्पो एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड से श्रीमती नीरा, ध्रुव ग्लोबल लिमिटेड से राकेश, सीएससी फरीदाबाद के फाउंडर वीएन जटवानी, एचएसबीपी से प्रेम प्रकाश, मां भगवती एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड से कपिल, शिवालिक डिजाइन से रजनीश, आईटीआई से श्रीमती योगिता सिंह, मेघराज, संतोष, श्वेता मल्होत्रा मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक ग्रुप इंस्ट्रक्टर नरेश कुमार की भूमिका सराहनीय रही।