उत्तराखण्ड
अन्तरराष्ट्रीय मधु प्रदर्शनी प्रतियोगिता के 68 प्रतियोगताओ को पुरस्कार एवं प्रशस्ति वितरित किये। प्रतियोगिता में 980 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
हल्द्वानी – उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तराखण्ड द्वारा तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय हनी-बी महोत्सव एवं संगोष्ठी के समापन दिवस पर मुख्य अतिथि मंत्री शहरी विकास एंव संसदीय कार्य बंशीधर भगत ने महोत्सव एंव संगोष्ठी में शिरकत कर संगोष्ठी को सम्बोधित किया व मधु प्रदर्शनी प्रतियोगिता के 68 प्रतियोगियांे को पुरस्कार एवं प्रशस्ति वितरित किये। प्रतियोगिता में 980 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए शहरी विकास एंव संसदीय कार्य मंत्री भगत ने कहा कि कृषक महोत्सव संगोष्ठी में प्राप्त ज्ञान का जागरूक हो कर धरातल पर प्रयोग करें तभी संगोष्ठी की सार्थकता होगी। उन्होने कहा सरकार कृषको को हर तरह से इंनपुट व राजसहायता देकर प्रोत्साहित कर रही है कृषक सरकारी योजनाओं का जागरूक एंव सक्रिय होकर लाभ उठाये। उन्होने कहा कि कृषि के साथ ही एलाईड सैक्टर से जोडकर कृषकों की आर्थिकी मजबूत करने हेतु सरकार प्रयासरत है। कृषि के साथ ही आर्थिकी मजबूत करने के लिए मौन पालन अहम व्यवसाय है सरकार मौन पालन से अधिक संे अधिक कृषको जोडने के लिए प्रयासरत है इसलिए मौन पालन में 80 प्रतिशत तक राजसहायता दे रही है। उन्होने कृषकों से योजना का लाभ उठाने की अपील की। उन्होने कहा कृषक वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर अपने उत्पाद एंव गुणवत्ता में वृद्धि करें स्वंय रोजगार अपनाकर दूसरों को रोजगार देने में भी अहम भूमिका निभाये। राजसहायता की मानसिकता से ऋण लेने वाला कभी सफल नही होता, वास्तविक किसान मेहनत के बल पर राजसहायता व ऋण का सदुपयोग कर सफलता हासिल करता है। उन्होेने कहा मौन पालकों को सरकार पूरा सहयोग दे रही है, कृषक, मौन पालन व्यवसाय अपनाकर योजनाओं का लाभ उठाये।
निदेशक डा. एचएस बवेजा ने कहा कि मौनपालन एक तकनीकी कार्य है इस कार्य को प्रारम्भ करने के लिए आधारभूत प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। उन्होने कहा कि वर्तमान में मौनपालकों द्वारा मुख्यतः शहद का उत्पादन ही किया जा रहा है। इसलिए आवश्यकता है कि मौनपालक शहद के साथ -साथ उसके अन्य उत्पाद मोम, रायल जैली, पराग, प्रोपोलिस एंव मौनविष का भी उत्पादन करें, इससे उनकी आय में निश्चित रूप से आशानुकूल वृद्धि होगी तथा उत्तराखण्ड राज्य को मौनपालन के साथ-साथ औद्यानिकी के क्षेत्र में विशेष स्थान प्राप्त होगा। उन्होेने कहा कि मौन पालन से विभिन्न औद्यानिक एंव कृषि फसलों विशेष रूप से लीची, सेब, अमरूद, नीबू प्रजातियां, सब्जियों तथा सरसों की फसलों में पर-परागण के फलस्वरूप 10 से 40 प्रतिशित तक उत्पादन में वृद्धि होती है।
तकनीकी सत्र में प्रो. इनवायरमेन्टल संाइन डॉ. परमिन्दर कौर, वैज्ञानिक प्रो. हरीश शर्मा, प्रो. प्रमोद माल, प्रो. एमएस खान, प्रो. जयपाल सिंह,उपनिदेशक उद्यान डॉ. सुरेश राम, हेमवन्ती नन्दन ने अपने-अपने व्याख्यान दिये।
कार्यक्रम में अपर सचिव डॉ. राम बिलास यादव ने अन्तर्राष्टीय हनी महोत्सव एव संगोष्ठी को सफल बनाने एवं प्रतिभाग करने वाले सभी वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों,मौन उत्पादकों,कृषकों व समस्त स्टाफगण का आभार व्यक्त किया।
संगोष्ठी मे लीची हनी प्रतियोगिता मे प्रथम चेतन्या मौनालया आवाम कृषि सेवा समिति हल्द्वानी को प्रथम, अरमान एग्रो नैनीताल को द्वितीय तथा ज्योति ग्रामोद्योग संस्था देहरादून को तृतीय स्थान मिला। इसी तरह जामुन हनी प्रतियोगिता मेे अरमान एग्रो नैनीताल को प्रथम, ज्योति ग्रामोद्योग देहरादून को द्वितीय तथा शिवालिक नेचुरल प्रोडेक्ट को तृतीय स्थान मिला। स्टाल प्रतियोगिता में ज्योति ग्रामोद्योग देहरादून को प्रथम, राजकीय बीकिपिंग सेन्टर ज्योलिकोट को द्वितीय तथा हिमोटान सोसाइटी बसंत विहार देहरादून को तृतीय स्थान मिला।