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उत्तराखण्ड

काकोरी शहीदों के बलिदान दिवस पर सभा आयोजित की गई,


हल्द्वानी। आज 19 दिसम्बर को काकोरी काण्ड के शहीदों की याद में अम्बेडकर पार्क, दमुवाढुंगा में सभा की गई। ब्रिटिश साम्राज्यवाद को चुनौती देने वाली काकोरी घटना का यह सौंवा साल है। आजाद भारत में भी आम मेहनतकश जनता की दीन-हीन दशा किसी से छुपी नहीं है।

वक्ताओं ने कहा कि शासकों द्वारा आज भी ब्रिटिश साम्राज्यवाद की तरह अगर मेहनतकश जनता की लूट जारी है। गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, अन्याय-उत्पीड़न की नई इबारतें लिखी जा रही हैं।

वक्ताओं ने कहा कि काकोरी के शहीदों; अशफ़ाक़-बिस्मिल; ने तमाम साम्प्रदायिक दंगों को रोका। यहां तक कि अपने बलिदान से भी “साझी शहादत-साझी विरासत” की प्रेरणा दी। मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा-संघ की सरकारें काकोरी के शहीदों की विरासत को जमीदोंज करने पर उतारू हैं। इस मामले में आज की सरकारें ‘गोरी गुलामी’ की विरासत को आगे ‘काली गुलामी’ तक ले गयी हैं। इस ‘काली गुलामी’ को काकोरी के क्रांतिकारियों के विचारों पर चलकर ही रोका जा सकता है।

सभा में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के मुकेश, मोहन, रियासत, रईस, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी, भगवती, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेश, चंदन, सौरभ, अनुराग, हेमा, सीमा, आदि उपस्थित रहे।,

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