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उत्तराखण्ड

भाकपा (माले) की उत्तराखंड राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक संपन्न


भाकपा (माले) की उत्तराखंड राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक संपन्न
• उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव धर्म और जाति के विभाजन की खायी को और चौड़ा करने का भाजपा का औजार है : राजा बहुगुणा
• हेलंग घटना के लिये जिम्मेदार चमोली जिले के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना तथा पुलिस व प्रशासन के लोगों को तत्काल हटाया जाए : माले

भाकपा (माले) की उत्तराखंड राज्य कमेटी की दो दिवसीय बैठक का समापन पार्टी के राज्य कार्यालय दीपक बोस भवन में हुआ.

इस अवसर पर बोलते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार धर्म और जाति के विभाजन को और गहरा कर रही है और समान नागरिक संहिता भी उसके लिए इसी विभाजन की खायी को चौड़ा करने का औजार है. इस विभाजन की खायी को चौड़ा करने के लिए राज्य सरकार इस कदर उद्यत है कि उसे इस बात की परवाह नहीं है कि ऐसा करने का कोई संवैधानिक अधिकार उसे नहीं है.
एक तरफ उत्तराखंड सरकार भू कानून पर कमेटी का ढोल बजा रही है और दूसरी तरफ विधानसभा में खुद वह जमीन की निर्बाध बिक्री के रास्ते में आने वाली हर बंदिश को खुद समाप्त कर चुकी है. जमीन के अलावा जंगल और पानी को भी कार्पोरेट घरानों के हवाला करना, इस सरकार का एजेंडा है, जिस पर जनांदोलनों के जरिये ही लगाम लगाई जा सकती है.
जिस समय प्रदेश के युवा नौकरियों की लूट के खिलाफ लड़ रहे हैं, उस समय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कभी समान नागरिक संहिता, कभी भू कानून कमेटी की रिपोर्ट का शिगूफा छेड़ कर मुद्दे को भटकाना चाहते हैं. लेकिन प्रदेश के युवा नौकरियों के लुटेरों से भी लड़ेंगे और संसाधनों के लुटेरों से भी.”

माले के गढ़वाल सचिव कामरेड इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि, “हेलंग में घास लाती महिला से पुलिस और घास छीनने की घटना के दो महीने बाद भी कोई कार्यवाही न होना यह दर्शाता है कि उत्तराखंड सरकार के संरक्षण में ही यह कार्यवाही हुई थी. न केवल चमोली जिले का जिलाधिकारी बल्कि पुष्कर सिंह धामी की सरकार का भी इस मामले में व्यवहार परियोजना निर्माता कंपनी – टी एच डी सी के कारिंदे जैसा ही हैं. भाकपा ( माले) यह मांग करती है कि इस मामले में चमोली जिले के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना तथा पुलिस व प्रशासन के घटना के जिम्मेदार लोगों को तत्काल हटाया जाए. जल- जंगल- जमीन जैसे संसाधनों पर स्थानीय लोगों का अधिकार सुनिश्चित किया जाए. जल विद्युत परियोजना निर्माता कंपनियों को हेलंग की तरह पुलिस- प्रशासन को हथियार बना कर स्थानीय लोगों और उनके संसाधनों पर हमले का अधिकार कतई नहीं दिया जाना चाहिए.”

किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी ने कहा कि,
“उत्तराखंड राज्य पूरी तरह से घोटालों का प्रदेश बन चुका है. मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले की तर्ज़ पर रोज सरकारी नौकरियों की लूट और भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं. युवाओं के रोजगार की लूट के मामले में पुष्कर सिंह धामी और उनकी सरकार पूरी तरह से जनता का विश्वास खो चुकी है. उत्तराखंड के इस भ्रष्टाचार को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधा संरक्षण प्राप्त है. आज उत्तराखंड के युवाओं की नौकरियों की लूट पर वे खामोश हैं. केंद्र में हर साल दो करोड़ नौकरियों का वायदा करने वाली मोदी सरकार, पिछले कुछ सालों में चार करोड़ नौकरियां खत्म कर चुकी है.”

भाकपा (माले) नैनीताल जिला सचिव डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, “नौकरियों में उत्तराखंड की महिलाओं का आरक्षण समाप्त होने और उसके बाद सरकार के इस मसले पर सुस्त रवैये से साफ है कि सरकार इस मसले पर गंभीर नहीं है और उसकी लचर पैरवी की चलते ही, पीसीएस की मुख्य परीक्षा से पहले उत्तराखंड की युवतियों के सामने यह संकट खड़ा हो गया है. भाकपा (माले) यह मांग करती की सरकार पीसीएस की मुख्य परीक्षा से पहले इस मसले का पुख्ता विधि सम्मत समाधान करे.”

भाकपा (माले) का ग्यारहवां राष्ट्रीय महाधिवेशन 15 से 20 फरवरी 2023 तक पटना में आयोजित होगा. राष्ट्रीय महाधिवेशन की तरफ बढ़ते हुए प्रदेश भर में पार्टी और जन संगठनों की मजबूती के लिए भाकपा (माले) अभियान चलाएगी. प्रदेश भर में पार्टी सुदृढ़ीकरण की प्रक्रिया को तेज करते हुए दिसंबर माह तक विभिन्न जिलों के सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे.

बैठक में पारित प्रस्ताव:
• उत्तराखंड में निरंतर दलितों पर हमले की घटनाओं पर रोक लगाई जाए.
• सरकारी नौकरियों की भर्ती व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में चयन में हुए घोटालों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से करायी जाय.
• राज्य में सभी खाली पदों पर नियुक्ति तत्काल की जाय.
• हेलंग मामले में चमोली जिले के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना तथा पुलिस व प्रशासन के घटना के जिम्मेदार लोगों को तत्काल हटाया जाए.

बैठक में राजा बहुगुणा, के के बोरा, इन्द्रेश मैखुरी, अतुल सती, आनंद सिंह नेगी, बहादुर सिंह जंगी, विमला रौथाण, ललित मटियाली, डॉ कैलाश पांडेय आदि शामिल रहे.

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