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माले’ के संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार के पचासवें शहादत दिवस पर उनके विचारों पर चलने का संकल्प!
‘माले’ के संस्थापक महासचिव कामरेड चारू मजूमदार के पचासवें शहादत दिवस पर उनके विचारों पर चलने का संकल्प!
• मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक जनांदोलनों के लिए तैयार होने का आह्वान!
भाकपा (माले) ने आज कार रोड, बिन्दुखत्ता स्थित कार्यालय दीपक बोस भवन में पार्टी के संस्थापक महासचिव काॅमरेड चारू मजूमदार को पचासवें शहादत दिवस पर याद करते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया। सर्वप्रथम कामरेड चारू मजूमदार और तमाम शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन रखा गया। शहादत दिवस पर कामरेड चारू मजूमदार के विचारों के आधार पर संघर्ष तेज़ करने और मजदूर-किसानों का राज लाने की लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया। भाजपा के फासीवादी राज के खिलाफ निर्णायक जनांदोलनों के लिए तैयार होने के पार्टी के केंद्रीय कमेटी के आह्वान को पूरा करने की शपथ ली गई।
इस मौके पर ‘माले’ के वरिष्ठ नेता काॅमरेड बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, “भारत में मजदूर -किसानों का राज लाने और मजदूर वर्ग की क्रांति करने का सपना काॅमरेड चारू मजूमदार ने देखा था। चारू मजूमदार ने ही 1967 से शुरू हुए नक्सलबाड़ी के महान किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था। गरीबों, भूमिहीनों को जमीन दिलाने और भूमि सुधार के लिए चला यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया था। 1969 में चारू मजूमदार ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेेनिनवादी) की स्थापना की। आंदोलन का नेतृत्व करने के आरोप में उन्हें तत्कालीन पश्चिम बंगाल सरकार ने गिरफ्तार किया और जेल में यातनाएं दी। 28 जुलाई 1972 को उनकी जेल में ही शहादत हो गई। भाकपा (माले) काॅमरेड चारू मजूमदार सहित तमाम क्रांतिकारियों के सपने को साकार करने के लिए आज भी संघर्षरत है और पूरे देश में मजदूर-किसानों, दलित, अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्ग, महिलाओं के संघर्षों में पूरी ताकत के साथ लगी है। आज के दौर में जब केन्द्र में बैठी फासीवादी मोदी सरकार के राज में दलितों, अल्पसंख्यकों , किसानों पर हमले बढ़ रहे है तब प्रत्येक पार्टी सदस्य को पूरे शिद्दत के साथ इन हमलों के प्रतिरोध मे उठ खड़ा होना होगा। काॅमरेड चारू मजूमदार का मेहनतकश वर्ग की मुक्ति का सपना आज के दौर में और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है।”
भाकपा (माले) जिला सचिव काॅमरेड डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आज कामरेड चारू मजुमदार की शहादत के पचासवें वर्ष में हम स्वयं को एक असाधारण परिस्थिति के बीच देख रहे हैं. न केवल जनता का जीवन, जीवनयापन के साधन और स्वतंत्रताओं पर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि गणतंत्र को धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की संवैधानिक प्रतिबद्धता से वंचित कर फासीवादी राष्ट्र के पिंजरे में कैद किया जा रहा है. क्रांति के सपने को पूरा करने के लिए जिस पार्टी का जन्म हुआ उसे अब इस अभूतपूर्व विपत्ति का सामना कर रहे गणतंत्र को बचाने व उसका पुर्ननिर्माण करने के कार्यभार को नेतृत्व देना होगा. इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें पार्टी को सांगठनिक, राजनीतिक एवं वैचारिक तौर पर मजबूत बनाना होगा. इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए एक समर्पित अभियान की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि, “केन्द्र में प्रचण्ड बहुमत से दो बार आ चुकी मोदी सरकार आज जनता से किये गये सभी वायदों से मुकर गयी है। देश के सवा सौ करोड़ लोगों की बात करने वाले मोदी जी आज सिर्फ अम्बानी-अडानी जैसे सिर्फ कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। अब जब मोदी सरकार के कार्यकाल के 8 साल पूरे हो गये हैं तो 2 करोड़ रोजगार प्रत्येक वर्ष देने के अपने चुनावी वायदे से धोखा देते हुए चार साल के रोजगार वाली अग्निपथ योजना ले आयी है, साथ ही बेतहाशा महंगाई, बेरोजगारी बढ़ाने वाली नीतियों को लागू किया जा रहा है। आर्थिक संकट से निपटने में पूरी तरह असफल मोदी सरकार बड़े पूंजीपति वर्ग के मुनाफे के लिए देश की शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, सरकारी रक्षा कम्पनियों को जबरन निजीकरण के रास्ते पर धकेल रही है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने का काम है।”
कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश पांडेय, किशन बघरी, पुष्कर दुबड़िया, कमल जोशी, आनंद सिंह सिजवाली, विमला रौथाण, स्वरूप सिंह दानू, नैन सिंह कोरंगा, हरीश भंडारी, धीरज कुमार, निर्मला शाही, पनिराम, दान सिंह मेहरा, मनोज जोशी, शिव सिंह, सरिता जंगी, मुन्नी देवी, कंचन पांडेय, प्रोनोबेस, भगवती देवी, पार्वती देवी जंगी,विकास, गोपाल गड़िया, त्रिलोक सिंह दानू, जगदीश सिंह, आनंद जंगी, सौरभ वर्मा, आनंद सिंह दानू, ललित जोशी, त्रिलोक राम आदि लोग मौजूद थे। संचालन माले के बिन्दुखत्ता सचिव कामरेड ललित मटियाली ने किया।