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” बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गईं एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया।”
” बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गईं
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर गया।”
आज गुरविंदर सिंह चड्ढा जी से हम सबको बिछड़े हुए एक वर्ष हो गया।
समाज सेवियों के जगत में एक अभूतपूर्व छवि वाले गुरविंदर सिंह चड्ढा जी की स्मृति में आज सादगी से उम्मीद का एक दिया जलाया गया। गुरविंदर चड्ढा फाउंडेशन ने चुकुम गांव, जिसकी बहुत समय से विस्थापन की मांग है और आपदा से सब लोग बेघर हो गए, को कंबल वितरित किये गए।
इस कार्यक्रम में चड्ढा जी की पत्नी, रेनू चड्ढा व बेटी, गुरवीन चड्ढा कोसी नदी को नाव से पार करते हुए जटिल रास्ते से चुकुम पहुंचे।
विशेष आभार Shweta Mashiwal, वत्सल फाउंडेशन जिनके सहयोग से ये कार्यक्रम संभव हुआ व अशोक खुल्बे जी के नई नवेली राफ्ट का भी उद्घाटन आज इसी कार्य से हुआ।
उम्मीद करते है शीघ्र ही ग्रामवासियो के अंधेरे जीवन मे स्थायी समाधान का दिया जलेगा।
चड्ढा जी को सच्ची श्रद्धांजलि उनके दिखाए गए राह पर चल कर है।
गुरविंदर सिंह चड्ढा फाउंडेशन उनके कार्यों को आगे बढ़ाते रहेगी।