उत्तराखण्ड
मुझे महखाने जाने की जरूरत नहीं साहब,अब घर पर ही सुविधा उपलब्ध है,
उत्तराखंड सरकार की पुलिस की छवि में कोई शंखा नहीं है लेकिन कुछ कत्थकथित पुलिस की छवि को धूमिल कर रहे हैं और डोर टू डोर शराब की तस्करी की जा रही है,,, उद्धारण बहुत है ये जो सरकारी पगार से अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और वो अनभिज्ञ है,,, सोचनीय विषय पर बहुत से प्रश्न चिन्ह लगते हैं और मीडिया में प्रचार प्रसार के बहुत से उल्लेख करते हैं,,,, ऐसे लोगों को पुलिस की आखों में धूल झोंक रहे हैं या पुलिस अपने चश्मे से भी नहीं देख पा रही है, उदारहरण के तौर पर बहुत कुछ है,लेकिन एक कलम से लिखना भी अनिवार्य है,, सरस्वती का एक मान्य रखना है,, पत्रकार तो वैसे भी बदनाम है, इसलिए, समाज कहता है उसको कुछ मिला नहीं होगा ,,, लेकिन सच को लिखना भी अनिवार्य है सरस्वती की कलम से जो लिखा जाता है उसको कोई नाकार नहीं सकता है,, देवो की धरती में नारद मुनि ने भी बहुत से अभिशाप लिए थे लेकिन उन्होंने सच को लिखना स्वीकार किया था आज कलजुग की लेखनी है इस पर विस्वास करना बहुत ही मुश्किल है क्यूं समाज कहेगा इसको कुछ मिला नही होगा,,,सच को लिखना ही होगा चाहे समाज माने या माने लेकिन इस कलजुग में लिखना होगा,,, चाहे समाज गाली दे या स्वीकार करे सत्य तो सत्य ही है,,,