उत्तराखण्ड
दिन में उजाला रात में अंधेरा ,,वाली कहावत चरितार्थ है,,
यू तो हम ऊर्जा प्रदेश में रह रहे हैं लेकिन वर्तमान स्थिति में ऊर्जा प्रदेश नही कह सकते हैं जिस तरह से विद्युत की कटौती की जा रही है, दूसरी तरफ नगर निगम की स्ट्रीट लाइट दिन में भी प्रकाशमान है ये मामला मंगल पड़ाव का है, क्योंकि इस तरह अगर दिन में स्ट्रीट लाइट जल रही है तो सीधा सीधा आप इसे एक लापावाई कह सकते हैं आपको बता दें कि ज्ञात हुआ कि सरकार अब उभोक्ता के साथ ऐसा नियम लागू करने जा रही है जिससे दिन में विधुत मूल्य अलग होगा और रात में अलग होगा क्युकी ,उनका मानना है कि सबसे ज्यादा विद्युत का उपयोग रात में किया जाता है ,जिससे दिन के विधुत मूल्य अलग होंगे और रात के अलग होंगे ,,इसका सीधा लाभ असर उभोकता की जेब में पड़ने वाला है,,सरकारी दफ्तरों में कई बार देखा गया है कि वहा पर अगर अधिकारी अपनी कुर्सी पर विराज मान नही तो उनकी अनुपस्थिति में उनकी कुर्सी को ठंडा रखती है ताकि वो फील्ड से आए तो उनकी कुर्सी उनको ठंडी मिले,,लाइट जल रही है तो जल रही है उसकी किसी की भी जिम्मेदारी नहीं है उसे बंद कर दें,,