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उत्तराखण्ड

अब्दुल मलिक ने की थी अब्दुल रहुफ सिद्धिकी की हत्या ,,,,मतीन सिद्धिकी,,

हलद्वानी ,,समाजवादी पार्टी के उत्तराखण्ड प्रभारी हाजी अब्दुल मतीन सिद्दीक़ी ने हल्द्वानी 8 फरवरी को मलिक के बगीचे में हुई घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि हल्द्वानी वासियों के साथ-साथ हमारे लिये यह सबसे दुर्भाग्य पूर्ण घड़ी है।कि हमें अपनी हल्द्वानी में अपनी ज़िन्दगी में इस तरह की घटना देखना पड़ी।उन्होंने कहा इस घटना की जितनी भी निंदा की जाये कम है।उन्होंने कहा इस प्रकरण की सी.बी.आई.या हाई कोर्ट के सीटिंग जज के द्वारा जाँच होनी चाहिये।और इस प्रकरण में जो भी दोषी हों उनके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही होनी चाहिये। उनके भाई जावेद सिद्दीक़ी के इस प्रकरण में शामिल होने के प्रशन पर उन्होंने कहा कि जावेद सिद्दीक़ी ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है।जिससे शहर का माहोल ख़राब हो। उसने बार-बार लोगों से शान्ति बनाने की अपील की लेकिन भीड़ इतनी उग्र हो चुकी थी कि वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी।वैसे भी अगले दिन रात को जब पुलिस जावेद की गिरफ़्तारी के लिए आई थी ।तब भी उसने फ़ोन पर मुझसे रो-रो कर अपने बच्चों की व मेरी क़समें खा-खा कर यही कह रहा था। मैं तो लोगों को पत्थर बाज़ी व हुड़दंग से रोक रहा था।यह मुझे ही क्यों पकड़ने आये है ।लेकिन फिर भी प्रशासन ने पता नहीं किन हालातों या किन फुटेजो के आधार पर उसकी गिरफ़्तारी की है ।लेकिन मुझे इस बात का विश्वास है कि अगर उसने अपने बच्चों के साथ-साथ मेरी भी क़सम खाकर अगर वह ये बात कह रहा है।तो मुझे पूरा यक़ीन है।कि वह कम से कम मेरी तो झूठी क़सम नहीं खा सकता है।क्यों कि मैंने अपने बहन भाईयों को अपनी ओलाद से भी बड़ कर पाला है। जब मेरे पिता का इंतेक़ाल हुआ था।तब जावेद की उम्र मात्र ढाई साल थी।और सबसे सबसे बड़ी बात यह है। मेरे यहाँ शादी की तैयारियाँ चल रही थी। 15-फ़रवरी को मेरे छोटे बेटे की शादी थी।और 17-फ़रवरी को हल्द्वानी विंटेज ग्रीन में रिसेप्शन था।जो इस प्रकरण के चलते स्थगित करना पड़ा ।इसी लिये मेरी सभी पत्रकार साथियों से और ज़िला व स्थानीय प्रशासन से हाथ जोड़ कर विनती है।कि एक बार इस प्रकरण की दुबारा बारीकी से जाँच कराने की कृपा करें।जिससे किसी निर्दोष को सजा के साथ-साथ शर्मांदिगी ना उठानी पड़े। वैसे भी पूरा शहर मेरे बच्चों व मेरे परिवार को भली भाँति जानता है।हमने अपने बच्चों व परिवार को इसमें के संस्कार कभी नहीं दिये।हम लोगों ने हमेशा हर जगह आपसी भाईचारा बड़ाने व आपस में प्यार मोहब्बत से रहने का पैग़ाम ही दिया। और प्रयास भी किया है।हल्द्वानी में कई बार लोगों ने माहोल ख़राब करने की कोशिश की लेकिन यहाँ के सभ्रांत व्यक्तियों व लोगों की दुआओं से हमेशा यहाँ का माहोल शांत कराने में सफल रहे है।लेकिन यह जो 8 फ़रवरी की घटना है।इसकी तो हम लोगों ने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी।दूसरी सबसे बड़ी बात यह है।कि हम अब्दुल मलिक के मद्दगार तो कभी हो ही नहीं सकते।क्यों कि वह उसका भाई व भतीजा मेरे छोटे भाई और हर दिल अज़ीज़ नेता भाई अब्दुल रऊफ़ सिद्दीक़ी के हत्यारे हैं। और उसका मुक़दमा अब भी इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहा है।इसी लिये हमारा यही कहना है।एक बार इसकी बारीकी से निष्पक्ष जाँच हो जाये उसके बाद जो भी दोषी हों उनके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही होनी ही चाहिये।साथ ही जिन लोगों ने इस घटना में अपने प्राण त्याग दिये है।उनको अल्लाह ताला जन्नतुल फ़िरदोस में आला मक़ाम अता फ़रमाए और उनके परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।साथ ही जो भी पुलिस अधिकारी,कर्मचारी,या निगम कर्मचारी व जनता के जो भी लोग घायल हुए हैं। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की हम कामना व प्रार्थना करते है।साथ ही उत्तराखण्ड सरकार से मृतक व घायलों को उचित मुआवज़ा देने की अपील करते हुए जनता से भी आपसी भाईचारा बनाये रखने की एवं अफवाहों से सावधान रहने की अपील की।

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