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उत्तराखण्ड

राज्यपाल ने रानीचौरी में कृषि-पारिस्थितिकी-पर्यटन विषयक दो दिवसीय चिंतन शिविर का किया उद्घाटन,,

रानीचौरी (टिहरी गढ़वाल), वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार के वानिकी महाविद्यालय, रानीचौरी में “भारत में कृषि-पारिस्थितिकी-पर्यटनः अवसर, चुनौतियाँ और आगे की राह” विषय पर आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर का शुभारंभ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने दीप प्रज्वलित कर किया।राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की पवित्र भूमि पर 14वें विचार-मंथन सत्र का उद्घाटन करना उनके लिए अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल अकादमिक चर्चा नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाला सार्थक प्रयास है, जिसमें कृषि उसकी जड़ें हैं, पर्यावरण उसकी आत्मा है और पर्यटन उसकी संस्कृति का हृदय है।राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में पर्यटन अब केवल मनोरंजन का माध्यम न रहकर सतत विकास का मजबूत आधार बन रहा है। इको-टूरिज्म और कृषि-पर्यटन जैसी पहलें न केवल प्रकृति और संस्कृति के संरक्षण को सुनिश्चित करती हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों और किसानों को आत्मनिर्भरता एवं सम्मानजनक आजीविका का अवसर भी प्रदान कर रही हैं।उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की नींव कृषि पर टिकी है और लगभग 45 प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों पर निर्भर है। कृषि केवल आजीविका ही नहीं बल्कि जीवन का दर्शन है। उन्होंने इसे ग्रामीण समाज की आत्मा और पर्यावरण को उसकी सांस बताते हुए कहा कि दोनों का संगम ही “एग्री-इको-टूरिज्म” का वास्तविक सार है, जो खेतों की हरियाली, पर्वतों की शांति और संस्कृति की सरलता में निहित है।राज्यपाल ने कहा कि भारत के पास अपार प्राकृतिक संसाधन हैं, किंतु इको-टूरिज्म का विकास अभी प्रारंभिक अवस्था में है। सतत पर्यटन के लिए इको-टूरिज्म और एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने उल्लेख किया कि पर्यटन मंत्रालय द्वारा हाल ही में ‘‘ग्रामीण पर्यटन की राष्ट्रीय नीति’’ जारी की गई है, जो ग्रामीण पर्यटन और इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन देने में सहायक सिद्ध होगी।राज्यपाल ने वीरचंद्र सिंह गढ़वाली विश्वविद्यालय को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह संस्था इको-टूरिज्म और कौशल-विकास आधारित पाठ्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों में नवाचार और उद्यमिता को प्रेरित कर रही है। उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या, तथा डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा द्वारा आरंभ किए गए एग्री-टूरिज्म प्रबंधन डिप्लोमा कार्यक्रमों की भी सराहना की और कहा कि ये प्रयास दर्शाते हैं कि भारत के कृषि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा संस्थान नहीं बल्कि ग्रामीण परिवर्तन के प्रयोगशाला केंद्र बन रहे हैं।इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के भरसार, गैरसैंण, पौड़ी, प्रतापनगर और मैलचौरी महाविद्यालयों में 2722.64 लाख रुपये की योजनाओं का शिलान्यास, लोकार्पण एवं जीर्णोद्धार कार्यों का उद्घाटन किया। रानीचौरी भरसार महाविद्यालय में अधिष्ठाता कार्यालय और सभागार कक्षा का लोकार्पण भी किया गया।कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति, शिक्षकगण, शोधार्थी, छात्र-छात्राएँ एवं भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (IAUA) से जुड़े विशेषज्ञ उपस्थित रहे। राज्यपाल ने आयोजन की सफलता के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ दीं।

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