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उत्तराखण्ड

जोशीमठ में सरकार के प्रयास नाकाफी” फेसबुक पर लिखना क्या आपत्तिजनक है? : डा कैलाश पाण्डेय,,



हल्द्वानी

  • क्या विपक्षी नेताओं को सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार नहीं है
  • जोशीमठ की संघर्षशील जनता के पक्ष में बोलना क्या मुकदमा दर्ज करने का वाजिब आधार है?

“कल दिनांक 17 अप्रैल को हल्द्वानी कोतवाली से फोन कर मुझे बताया गया कि आपने फेसबुक पर जोशीमठ को लेकर कोई आपत्तिजनक पोस्ट की है, जिसमें आपने कहा है कि “जोशीमठ को लेकर सरकार के प्रयास नाकाफी हैं” इसी को लेकर श्रीनगर गढ़वाल कोतवाली से मामला यहां हल्द्वानी कोतवाली को ट्रांसफर हुआ है।” यह जानकारी भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से देते हुए सवाल उठाया कि, “क्या “जोशीमठ में सरकार के प्रयास नाकाफी हैं” पोस्ट लिखा जाना आपत्तिजनक है? जबकि जोशीमठ की जनता अभी भी आंदोलनरत है और पूरा राज्य और देश जानता है कि जोशीमठ को बचाने में सरकार कतई नाकाम साबित हुई है।”

उन्होंने कहा कि, “जोशीमठ की संघर्षशील जनता के आन्दोलन के समर्थन पर मैंने न सिर्फ़ कई पोस्ट लिखीं, बल्कि हमने तो हल्द्वानी, रामनगर, लालकुआं, नैनीताल में भाकपा माले, आइसा, इंकलाबी नौजवान के बैनर पर और कभी तमाम जनसंगठनों के साथ मिलकर जोशीमठ की संघर्षशील जनता के साथ एकजुटता में प्रदर्शन, सभाएं, सरकार को मांग पत्र भेजने की जन कार्यवाहियां लगातार कीं।”

माले नेता ने बताया कि, “भाकपा माले के तत्कालीन उत्तराखण्ड राज्य सचिव तत्कालीन कॉमरेड राजा बहुगुणा के नेतृत्व में 20-22 जनवरी, 2023 को जोशीमठ जाने वाले भाकपा (माले) के प्रतिनिधिमंडल में कामरेड गिरिजा पाठक के साथ मैं भी शामिल रहा। वहां जनता की भीषण तबाही के साथ साथ सरकार के आपदा प्रबंधन की नाकामी को हमने अपनी आंखों से देखा, वहां के आपदा पीड़ित लोगों से कई पहलुओं पर बात की और अपने आंकलन और सरकार को जनता को तत्काल राहत देने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए इसको लेकर अपने सुझाव भी भाकपा माले की ओर से प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से सार्वजनिक किए। 22 जनवरी, 2023 को हुई इस प्रेस वार्ता में कामरेड राजा बहुगुणा, कामरेड गिरिजा पाठक, कामरेड इंद्रेश मैखुरी, कामरेड अतुल सती के साथ ही मैं भी शामिल था। हम लोगों द्वारा जो सुझाव उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री और आपदा प्रबंधन के लिए तैनात सरकार के नुमाइंदों को दिए गए उस पर तो अमल अभी तक नहीं दिखता, जिस “आपदा प्रबंधन में सरकार के प्रयास नाकाफी” को लेकर तब लिखा बोला गया था उसकी हकीकत तो यह है कि 16 अप्रैल 2023 को जोशीमठ आन्दोलन के 100 दिन पूरे होने के बाद भी सरकार के प्रयास नाकाफी ही नहीं बल्कि बेमन से हैं और दिशाहीनता का शिकार हैं, असल में उत्तराखण्ड की भाजपा की धामी सरकार के पास जोशीमठ को लेकर कोई स्पष्ट योजना ही नहीं है न ही राज्य सरकार का अभी तक के काम करने के तौर तरीके से लगता है कि जोशीमठ को लेकर वह कुछ गंभीर है, यह सरकार समय काटने की मानसिकता से काम कर रही है जिससे जनता थककर ‘खुद ही सैटल’ हो जाय लेकिन जनता का एकताबद्ध संघर्ष सरकार की इस कोशिश को सिरे से नकार रहा है। इसीलिए 100 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी बारिश ठंड और बर्फबारी के बावजूद राशन, आधे अधूरे जी.ओ., मुआवजे और तात्कालिक राहत के झुनझुने को नकारते हुए जोशीमठ की संघर्षशील जनता अपने अधिकारों को बुलंद करने के लिए डटी हुई है।”

उन्होंने कहा कि, “जोशीमठ की जनता का लगातार चल रहा संघर्ष बता रहा है कि सरकार के प्रयास कितने नाकाफी हैं।”

डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “ये संभव है कि आप किसी एक्टिविस्ट पर “जोशीमठ मामले में सरकार के प्रयास नाकाफी हैं” लिखने के ‘संगीन आरोप’ में साइबर एक्ट में मुकदमे की कार्यवाही शुरू कर दें, लेकिन यह सवाल तो बना ही रहेगा कि जोशीमठ के लिए सरकार कर क्या रही है? जनता को राहत देने में सरकार अभी तक नाकाम क्यों साबित हुई है?”

उन्होंने अपने वक्तव्य “जोशीमठ में सरकार के प्रयास नाकाफी हैं” पर दृढ़ रहते हुए उसमें जोड़ते हुए कहा कि, “उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार के “जोशीमठ के लिए प्रयास न सिर्फ़ नाकाफी हैं बल्कि इसी सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण ही जोशीमठ में धंसाव घटित हो रहा है, इसके लिए मुख्य जिम्मेदार एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना की सुरंग के लिए किए गए विस्फोटों को यह सरकार जिम्मेदार मानने को तैयार ही नहीं हैं और जनता के प्रति धामी सरकार का गैरजिम्मेदाराना और उदासीनता भरा जनविरोधी रवैया इस आपदा की तीव्रता में इज़ाफा कर रहा है।”डा कैलाश पाण्डेय, जिला सचिव भाकपा माले,नैनीताल,,,

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