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उत्तराखण्ड

छात्र की छात्रवृति की कहानी ,, डॉ धर्मेंद्र वार्ष्णेय ,

ये लेख उन अभिवाहक के लिए है जो करीब हर दिन किसी छात्र की छात्रवृति की कहानी अखबार या सोशल साइट पर किसी विध्यालय के माध्यम से पढ़ते है और सुनते हैं। और अपने बच्चे के भविष्य के लिए अच्छे से अच्छे संस्थानों मे ऐडमिशन के लिए परेशान रहते हैं।
चलिए शुरू करते हैं
मान लीजिए किसी विध्यालय के माध्यम से आपको उनके दिए गए विज्ञापन से यह मालूम पड़ता है कि उनके छात्र को उच्च शिक्षा के लिए 50 लाख या एक करोड़ की छात्रवृति किसी विदेशी संस्थान से मिलती है।
सभी अभिवाहक उस विध्यालय मे अपने बच्चे का प्रवेश करने के लिए ईछुक हो जाएंगे। कारण निम्न हैं जो कि जानने जरूरी हैं।
पहला ये कि उस विदेशी विश्वविध्यालय कि ट्यूशन फीस और दूसरे खर्चे कितने है?
दूसरी बात यह विदेशी विश्वविध्यालय किस शहर और प्रांत मे आता है? जैसे न्यूयॉर्क, (अमेरिका) बहुत ही ज्यादा खर्चीला और महंगा शहर है तो वहाँ ट्यूशन फीस भी ज्यादा होगी और छात्रवृति भी ज्यादा होगी। जबकि कन्सास सिटी, (अमेरिका) कम महंगा है तो वहां पर दोनों ही कम होगी। अब आप समझ गए होंगे थोड़ा बहुत।
अब किसी सस्ते शहर के विश्वविध्यालय मे ट्यूशन फीस माफ करके 2 से तीन हजार प्रति माह डॉलर छात्रवृति दी जाती है तो यही करीब 60 से 70 लाख हो जाती है तो छात्र के अभिवाहक और यहाँ के विध्यालय के मालिक को बताने मे गर्व होता है। भाई होना भी चाहिए उनके बच्चे ने मेहनत की है वही यदि शहर महगा है तो दोनों चीजें महंगी होती हैं तो छात्रवृति 1 से 1.25 करोड़ भी हो सकती है।
भाई लोगों भारत की तरह नहीं है कि सभी आईआईटी मे करीब करीब एक जैसी फीस हो। इसलिए विज्ञापन के भ्रम मे ना जाएँ ये देखने की जरूरत है कि आपका बच्चा सही दिशा मे जा रहा है कि नहीं? मालूम पड़ा कि बच्चे को प्रबंध शिक्षा की जरूरत थी लेकिन आपने छात्रवृति के चक्कर मे अभियांत्रिकी मे उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेज दिया क्योंकि ऐसे अभिवाहक को लगता है कि दूसरे के बच्चे कर रहें हैं तो मेरा बच्चा क्यों नहीं या मैं नहीं कर पाया तो मेरा बच्चा कर ले।
अब आपको भारत के निजी संस्थानों और यूनिवर्सिटी की कहानी भी बताते चले। आईआईटी और आईआईएम जैसे सरकारी संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो फिर निजी संस्थानों मे ऐसे संस्थान भी हैं जो नए आईआईटी और आईआईएम से अच्छे हैं जैसे बी आई टी पलानी, बी आई टी मेसरा, थापर, वी आई टी चेन्नई, सीमबोसिस, इत्यादि। इन संस्थानों मे एक अच्छी शिक्षा तो होती ही है और एक अच्छी नौकरी मिलने की संभावना हमेशा बनी रहती है। अब उन बी केटेगरी के संस्थानों के बारे मे भी बताते चले जो प्रदेश की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के छत्रछाया मे चलते हैं। वहां वही पढ़ाया जाता रहा है जो उन टेक्निकल यूनिवर्सिटी का करीकुलम होता है जो कि उन्नत और पुराना हो चुका होता है। नौकरी मिलती है क्यों नहीं मिलती है। और टी सी ऐस, इन्फोसिस, विप्रो जैसी कंपनी मे नौकरी मिलती है किन्तु आज हम आपको हिसाब बता ही दें। ऐसे संस्थान मे जो नौकरी मिलती है उसका जॉब डिस्क्रिप्शन और पोज़िशन अलग होती है और उसी हिसाब से वेतन भी करीब 3 से 4 लाख प्रति माह मिलता है और अभिवाहक भी खुश रहते है कि उसके बच्चे का एक उच्च कंपनी मे प्लेसमेन्ट हो गया है जबकि वी आई टी, अमृता यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों मे यही कंपनी 11 से 12 लाख प्रति माह मे प्लेसमेन्ट का ऑफर करती है और यही कंपनी आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों से 80 लाख से 1 करोड़ तक का पैकेज भी दे सकती है। अंतर अब आपके समझ मे आ गया होगा कि जैसा जॉब डिस्क्रिप्शन और पोज़िशन वैसी ही सैलरी या पैकेज।
अब आपको इन बी संस्थानों की एक कहानी और बताते चले कि ये लोग अपने यहाँ 100 प्रतिशत प्लेसमेन्ट कैसे दिखाते हैं। मान लीजिए फाइनल वर्ष मे इनके पास 100 छात्र थे उनमे से 4 से 5 अपने दम पर अच्छी नौकरी पा लेते हैं क्योंकि ये बच्चे वे होते हैं जिन्होंने मजबूरी मे यहाँ ऐड्मिशन लिया था क्योंकि किसी कारणवश वे शहर को नहीं छोड़ पाते हैं या माता पिता के पास इतने पैसे नहीं होते कि वे अपने बच्चों के लिए उच्च संस्थानों की फीस भर सके। ये वही बच्चे होते हैं जो आईआईटी और आईआईएम मे बैठे तो थे लेकिन उनका फाइनल ऐडमिशन किन्ही कारणों से नहीं हो पाता हैं और यही बच्चे सबसे ज्यादा वेतन भी पा लेते हैं और संस्थान इन्ही के बड़े बड़े फोटो होल्डिंग पर लगवा देते हैं। अब आते हैं बाकी 95 छात्रों पर, अब इनमे से 10 से 12 बच्चे अपने खानदानी व्यापार को संभाल लेते हैं और इसी शिक्षा से आगे नए वेन्चर को भी लगाते हैं। कुछ लड़कियों का विवाह हो जाता है कुछ छात्र पीएचडी या उच्च शिक्षा कि तरफ जाते हैं और बाकी छोटी मोटी कंपनी या डिस्ट्रिब्यटर या ऑटो के शो रूम मे लग जाते हैं नहीं तो बीमा और प्राइवेट बैंक की नौकरी पा लेते हैं बहुत ही कम वेतन मे। इस तरह से इन सभी संस्थानों का 100 प्रतिशत प्लेसमेन्ट हो ही जाता है।
अभिवाहक समझे कि यदि आपके बच्चों को आगे अच्छे संस्थाओं मे जाने के लिए एक या दो वर्ष दिए जाए तो आपके बच्चे के लिए यह इनवेस्टमेंट होगा और आपका बच्चा 11 से 12 वर्ष आगे वाली पोज़िशन पर होगा।
अगले लेख मे आपको बताऊँगा निजी संस्थानों और यूनिवर्सिटी के वातावरण और संस्कृति के बारे मे, आप खुश रहे और अपने जीवन मे अच्छे से अच्छा निर्णय लें।


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