उत्तराखण्ड
हल्द्वानी के नया बाजार में कैलाश आयुर्वेदिक औषधालय: तीन दशकों से नाड़ी चिकित्सा की विरासत,,
हल्द्वानी के नया बाजार स्थित कैलाश आयुर्वेदिक औषधालय पिछले एक दशक से नाड़ी चिकित्सा पद्धति से रोगियों का इलाज कर रहा है, जो प्राचीन आयुर्वेदिक परंपरा पर आधारित है। यह औषधालय लगभग तीन दशकों से सक्रिय है और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में स्थापित हुआ, जो महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित थे तथा उनके साथ विचार-विमर्श किया करते थे। स्थापना और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव औषधालय की नींव 1926 में वैद्य सीतावर पंत ने रखी, जिन्होंने 1925 में नैनीताल और उसके बाद हल्द्वानी में इसे स्थापित किया। स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय पंत जी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से आयुर्वेदिक शास्त्राचार्य उपाधि प्राप्त करने वाले बहुविध प्रतिभा के धनी थे तथा कांग्रेस नेता पंडित गोविंद बल्लभ पंत के निकट रहे। उन्होंने परंपरागत आयुर्वेदिक विधियों में संशोधन कर आसव, अरिष्ट, रस, भस्म और च्यवनप्राश जैसे उत्पाद तैयार किए, जो बाजार से सस्ते और लोकप्रिय हुए। तीसरी पीढ़ी में आधुनिकीकरण आज तीसरी पीढ़ी इस औषधालय का संचालन कर रही है, जहां वेदों पर आधारित पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला गया है। पंडित पीताम्बर पंत जैसे सुपुत्रों ने इसे पारिवारिक चिकित्सक के रूप में स्थापित किया, जहां हर रोगी के लिए अलग नुस्खा तैयार किया जाता था। नाड़ी परीक्षा और स्वयं निर्मित औषधियों से उपचार जारी है, जो जोड़ दर्द, श्वास रोग, पाचन विकार जैसी समस्याओं में प्रभावी सिद्ध होता है। आज भी विश्वास की नजर मेंआधुनिक चिकित्सा युग में भी कई परिवार इस पद्धति पर भरोसा जताते हुए नया बाजार आते हैं, जहां प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनी दवाएं दी जाती हैं। औषधालय सामाजिक सरोकारों का केंद्र भी रहा, जहां बच्चे अनारदाना चूर्ण जैसी आयुर्वेदिक मिठाइयों के लिए आकर्षित होते थे। वैद्य पंत की पुस्तक ‘समस्त रोग प्रमेह यमम’ प्रमेह रोगों के निदान पर आधारित है, जो हिमालयी भेषो का उपयोग बताती है।













