Connect with us

उत्तराखण्ड

अंतरराष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस एक सभा करके मनाया गया

हलद्वान अंतरराष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस पर सभा को प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र , प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन ने सयुंक्त रुप से अंतरराष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस पर सभा कर मनाया गया। प्रगतिशील महिला एकता केन्द्रकी आरती ने की 8 मार्च के इतिहास पर बात रखते हुए बीसवीं सदी के शुरूवात से ही महिलाओं के राजनीतिक अधिकार तथा कार्य परिस्थितियों में सुधार के लिए महिला मजदूरों के आन्दोलन लगातार बढ़ते जा रहे थे। इन आंदोलनों को वैचारिक तथा संगठित रूप देने में जर्मनी की समाजवादी नेता क्लारा जेटकिन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1907 में स्टुटगार्ड शहर में समाजवादी महिलाओं ने पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। 28 फरवरी 1909 क को अमेरिका की समाजवादी महिलाओं ने मजदूर महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों के लिए बड़ी-बड़ी सभाएं व जुलूस-प्रदर्शन आयोजित किए। यह पहला महिला दिवस था। 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में महिला मजदूरों के, दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। 19 मार्च 1911 को पहला से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस मनाया गया। बाद में न्यूयॉर्क की गारमेंट महिला मजदूरों के जुझारू प्रदर्शन की याद में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर महिला दिवस को 8 मार्च के दिन , मनाया जाना तय किया गया। 8 मार्च 1915-16 से रूस की मजदूर किसान महिलाओं ने युद्ध विरोधी प्रदर्शन किए । उनके द्वारा जलाई गई चिंगारी से एक ऐसा ज्वार उठा भी जिसने 1917 में जारशाही सत्ता को उखाड़ फेंका और । फरवरी क्रांति को अंजाम दिया। बाद में अक्टूबर क्रांति हुई जिसने महिलाओं को सारे अधिकार क्रांति के पहले ही दिन दे दिए।

वर्तमान में महिला मजदूरों के समक्ष चुनौतियों पर बात रखते हुए भोजनमाता यूनीयन की भावना ने कहा कि महिला मजदूरों ने इतिहास में पुरुष मजदूरों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संघर्षों में कंधा से कंधा मिलाकर भागीदारी की।
गौलापार की दीपा ने कहा कि महिला मजदूरों के सचेत प्रतिनिधियों ने कुर्बानियां देकर तथा मजदूर वर्ग के शासन को लाने के संघर्षो में बढ़ चढ़ कर भागीदारी की, मत देने का अधिकार और समान वेतन तथा मान सम्मान के लिए भी संघर्ष कर पूंजीपति वर्ग को पीछे धकेला।

क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के मोहन मटियाली ने कहा कि भारत में आज़ादी से लेकर वर्तमान सरकार तक सभी पूंजीपतियों के पक्ष में नीतियां बनाकर मजदूर वर्ग का निर्मम शोषण करने में आगे रहीं हैं मोदी सरकार ने तो नंगें ‌रुप में अडानी अंबानी के लिए देश का खजाना लूटा दिया है। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा वास्तविक रूप में कम सरकारी प्रचार व ट्रक व गाड़ियों में अधिक दिखा।
भोजनमाता यूनियन की महामंत्री रजनी जोशी ने कहा कि सरकार एक तरफ महिला, मजदूर ,किसान समेत सभी गरीबों के अधिकार खत्म कर रही है दूसरी ओर फासीवादी निजाम खड़ा करके आंदोलन का दमन करने की तैयारी कर रही है। शासक वर्ग महिलाओं के इस एतिहासिक दिवस की मूल आत्मा को समाप्त कर इस दिवस पर मौज मस्ती, सौन्दर्य प्रतियोगिता व सामान्य बातें कर महिलाओं को संघर्षों से विमुख करना है।

परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महासचिव ने कहा कि सरकार खुद अपने विभागों में भोजन माता, आगनवाडी़ कार्यकर्ता, आशा वर्कर समेत सभी स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम वेतन न देकर बेगारी करा रही है इसके खिलाफ सामुहिक संघर्षों को बढ़ाना होगा।
सभा में टीका राम पांडे, उमेश, चंदन, पुष्पादेवी, मौनी, गीता टमाटर, विमला, बीना, पार्वती, बंसती देवी मनीषा, आशा, चन्दा देवी आदि शामिल रहे

Ad Ad
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page