उत्तराखण्ड
थेरवाद बौद्ध धर्म और सामाजिक सहभागिता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित,,
अजय सिंह देहरादून
देहरादून थेरवाद बौद्ध धर्म और सामाजिक सहभागिता पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हयात सेंट्रिक, राजपुर रोड, देहरादून में आयोजित किया गया, जिसमें 11 देशों से आये सम्मानित गणमान्य बौद्ध भिक्षुओं एवं विद्वानों के महत्वपूर्ण सम्मेलन की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) और अंतर्राष्ट्रीय थेरवाद संघ परिषद के अध्यक्ष डॉ. लाग महानायक महाथेरा और डॉ. एम.के. औतानी की उपस्थिति में किया।
कार्यक्रम में राम नाथ कोविंद ने थेरवाद बौद्ध धर्म में गहन अंतर्दृष्टि और विपश्यना ध्यान की परिवर्तनकारी शक्ति को साझा किया गया। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने थेरवाद बौद्ध धर्म की शिक्षाओं में निहित कालातीत ज्ञान की व्याख्या की, जो दर्शकों को गहराई से पसंद आया और आधुनिक जीवन की जटिलताओं के बीच इसकी स्थायी प्रासंगिकता पर सामूहिक चिंतन को प्रज्वलित किया।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के संबोधन ने न केवल बौद्ध धर्म के दार्शनिक आधारों पर प्रकाश डाला, बल्कि समकालीन भारतीय समाज में विपश्यना ध्यान के व्यावहारिक अनुप्रयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने आंतरिक शांति, मन की स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में इस प्राचीन अभ्यास के गहरे प्रभाव को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया, जिससे लचीलेपन और समानता के साथ आधुनिक दुनिया की चुनौतियों से निपटने का मार्ग प्रशस्त हुआ।इसके अलावा, पूर्व राष्ट्रपति कोविन्द ने अमृत उद्यान में उनके कार्यकाल में रोपित ऐतिहासिक बोधगया महाबोधि वृक्ष के बारे में जानकारी भी दी।
अपने संबोधन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने बुद्ध की शिक्षाओं के गहन महत्व पर प्रकाश डाला, और समकालीन भारतीय समाज में उनकी स्थायी प्रासंगिकता को रेखांकित करने के लिए बौद्ध देशों में उनकी व्यापक यात्राओं का जिक्र किया। व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से राज्यपाल ने आधुनिक जीवन की जटिलताओं को सुलझाने में इसके कालातीत ज्ञान और व्यावहारिक प्रयोज्यता को स्पष्ट करते हुए, बौद्ध दर्शन के सार को उजागर किया।
राज्यपाल ने कहा इस धर्म के महात्मा और गुरुओं के मार्गदर्शन में बुद्ध के मूल सिद्धांतों को अपनाकर, यह लोगों को सुख, शांति, और आत्म-समर्पण की अनुभूति कराता है। थेरवाद बौद्ध धर्म का महत्व ध्यान और उसकी महत्ता में है। ध्यान का अभ्यास इस धर्म के अनुयायियों को अपने जीवन को सार्थक और समृद्ध बनाने के लिए एक मार्गदर्शक द्वार में साबित होता है।