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उत्तराखण्ड

डॉ. राजविन्दर कौर’ कर्म और मेहनत के बल पर पाया मुकाम, साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय

, सितारगंज। कर्म और मेहनत में विश्वास रखने वाली शख़्सियत डॉ. राजविन्दर कौर लंबे समय से साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वर्तमान में वह राजकीय महाविद्यालय सितारगंज में असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. कौर का जन्म पंजाब के कपूरथला ज़िले के एक गांव में 15 अक्टूबर 1980 में हुआ। उसके उपरांत उनका परिवार उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर ज़िले में आकर बस गया।

डॉ. कौर की प्रारंभिक शिक्षा गांव के विद्यालय में हुई। इंटरमीडियट की शिक्षा बन्डा तथा उच्च शिक्षा एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली यूपी से प्राप्त की। नवम्बर 2007 में उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर ज़िले के सितारगंज में उनका विवाह गुरदीप सिंह से हुआ, जो शिक्षक हैं। डॉ कौर की 2010 में उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग में हिंदी विषय में प्रवक्ता के पद पर पिथौरागढ़ ज़िले के डीडीहाट के कॉलेज में प्रथम नियुक्ति हुई।

साहित्य लेखन में पूर्ण रूप से सक्रिय डॉ. राजविंदर कौर
अगस्त 2019 में ‘पेपरवेट’ नाम से पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। सन् 2022 में साझा कविता संग्रह ‘फ़लक’ का प्रकाशन हुआ। डॉ. कौर अंतरराष्ट्रीय पीयर रिव्यूवड जर्नल ‘साहित्य मेघ’ (साहित्यिक हिंदी मासिक पत्रिका) में सह -संपादक भी हैं। वे बुलंदी साहित्यिक सेवा समिति की संरक्षक भी हैं। डॉ कौर ने सितंबर 2018 में साहित्य अकादमी संस्कृति परिषद ,मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग, भोपाल द्वारा आयोजित भोपाल साहित्य महोत्सव में प्रतिभाग किया तथा अपने मूल ज़िले का प्रतिनिधित्व भी किया। साहित्य में उनकी विशेष उपलब्धि ये भी है कि उनको समय समय पर पंतनगर विश्वविद्यालय के रेडियो केंद्र ‘जनवाणी’ में साहित्यिक कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग के लिए आमन्त्रित किया जाता है तथा साथ ही उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के रेडियो केंद्र ‘हेलो हल्द्वानी’ में विषय विशेषज्ञ तथा साहित्यकार के रूप में सक्रिय प्रतिभागिता है।

प्रसार भारती के ‘आकाशवाणी’ केंद्र रामपुर में साहित्यिक वार्ता में समय-समय पर उनके कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग के लिए बुकिंग की जाती है। कवि एवं साहित्यकार के रूप में विभिन्न साहित्यिक गोष्ठियों तथा कवि सम्मेलनों में समय -समय पर विभिन्न मंचों पर सक्रिय प्रतिभाग करती हैं। संयुक्त परिवार की देखरेख तथा तीन बच्चों की परवरिश करते हुए डॉ. कौर अपनी नौकरी के साथ-साथ लेखन कार्य तथा सामाजिक गतिविधियों में भी पूरी तरह से सक्रिय हैं। उच्च शिक्षा के लिए कई छात्र-छात्राओं की आर्थिक मदद कर वे उनका शुल्क स्वयं वहां करती हैं ।


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