Connect with us

उत्तराखण्ड

भेदभाव रहित, समानता पर आधारित समाज का भगत सिंह का सपना पूरा करना आज और भी जरूरी धीरज कुमार,

• भेदभाव रहित, समानता पर आधारित समाज का भगत सिंह का सपना पूरा करना आज और भी जरूरी
• शहीद भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर पर उन्हें याद करते हुए आइसा द्वारा कार्यक्रम का आयोजन

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने भगत सिंह के जन्मदिन 28 सितंबर पर उन्हें याद करते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत भगत सिंह के प्रिय नारे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ को बुलंद करके की गयी. इस अवसर पर शहीदे आज़म भगत सिंह के विचारों पर चलते हुए देश में आमूल चूल परिवर्तन की लड़ाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का संकल्प लिया गया.

इस अवसर पर आइसा के संयोजक धीरज कुमार ने कहा कि, “भेदभाव रहित, समानता पर आधारित समाज का भगत सिंह का सपना पूरा करना आज और भी जरूरी हो गया है. इसलिये पूंजीपतियों के अकूत मुनाफे के लिए नहीं बल्कि आम मजदूर किसानों मेहनत करने वालों के पक्ष में नीतियां बनाने वाली व्यवस्था की जरूरत है.”

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) नेता विकास सक्सेना ने
गोष्ठी में बोलते हुए कहा कि, “केंद्र और राज्य सरकारों ने शिक्षा और रोजगार को अपनी जिम्मेदारी मानने से इंकार कर दिया है. नयी शिक्षा नीति पूरी तरह से शिक्षा को बड़े कॉरपोरट के हवाले करने की नीति के रूप में बनायी गयी है. और रोजगार को संविदा, ठेके से होते हुए फिक्स टर्म एम्पलॉयमेंट और काम के बारह घंटे की ओर धकेला जा रहा है जो कि देश के नौजवानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है.”

भाकपा (माले) के नैनीताल जिला सचिव डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि, “सरकारी रोजगार चौपट है और जब अंकिता जैसी होनहार लड़कियाँ अपने परिवार की जीविका के लिए निजी रूप से प्रयास करती हैं तो उनके साथ जघन्य सुलूक किया जाता है. सत्ता के राजनीतिक संरक्षण में न जाने कितनी मासूम अंकिताओं की बलि चढ़ रही है.”
उन्होंने कहा कि,
“उत्तराखंड राज्य तो होनहार नौजवानों के रोजगार की राजनीतिक लूट का अड्डा बना हुआ है. सरकारी नौकरियों की भर्ती में लगातार घोटाले हो रहे हैं. युवा बेरोजगारों द्वारा सरकारी नौकरियों में घोटालों और यू.के.एस.एस.एस.सी.में राजनीतिक संरक्षण में हुई शर्मनाक धांधलेबाजी की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की मांग बिल्कुल जायज है और राज्य सरकार को इसकी तत्काल घोषणा करनी चाहिए.”

माले नेता ललित मटियाली ने कहा कि, “आज के दौर में जिस तरह से धार्मिक, जातीय विभाजन तेजी से बढ़ रहा है, महिलाओं के शोषण उत्पीड़न की घटनाएँ बढ़ रही हैं ऐसे में शहीदे आज़म भगत सिंह के विचारों पर आधारित समाजवादी व्यवस्था बनाए जाने की प्रासंगिकता किसी भी समय की तुलना में और भी अधिक बढ़ गई है. इसके लिए समाज के रूपांतरण के संघर्ष में छात्रों नौजवानों को आगे आना होगा. आइसा जैसे क्रांतिकारी छात्र संगठन इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

गोष्ठी में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किये गये:
1- अंकिता मामले में अभियुक्तों को कड़ी सजा दी जाय और आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाय. उत्तराखंड में लगातार बढ़ते महिला अपराधों पर रोक लगाने के कारगर उपाय किये जाएं. इस मामले में आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार पौड़ी जिले के जिलाधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाय. अवैध रूप से बन और चल रहे रिसॉर्टों की जांच की जाय. साथ ही ऐसे रिसॉर्टों को परमीशन देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाय.
2- सरकारी नौकरियों की भर्ती में घोटालों और यू.के.एस.एस.एस.सी.में राजनीतिक संरक्षण में हुई शर्मनाक धांधलेबाजी व उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भर्ती की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच की जाय.
3- राज्य में हजारों खाली पदों पर तत्काल पारदर्शी तरीके से भर्ती की जाय.
4- तीन साल से रिक्त पदों को समाप्त करने की घोषणा वापस लेते हुए उन पदों पर आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाय.
5 – जगदीश हत्याकांड और इस बीच उत्तराखंड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में घटित हुई बहुत सी दलित उत्पीड़न की घटनाओं ने हमारे समाज की जातिवादी विभाजन को बहुत वीभत्स तरीके से सामने ला दिया है. इसकी हम कड़ी भर्त्सना करते हैं और महसूस करते हैं कि इस तरह की जातिवादी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार और समाज दोनों को मजबूती से आगे आना होगा.

विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से धीरज कुमार, विकास सक्सेना, डॉ कैलाश पांडेय, ललित मटियाली, शैली आर्य, ताहिर अली, संजना, मनोज जोशी, अस्मिता, विमला रौथाण, प्रभात पाल, कमल जोशी, हरीश भंडारी, विकास कश्यप, मोहित जोशी, दीपक, अर्जुन, हर्षित भंडारी, निर्मला शाही,वीरेंद्र कुमार, रवि कुमार, शंकर कुमार आदि शामिल रहे.

Ad Ad
Continue Reading
You may also like...

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page