उत्तराखण्ड
यू ओ यू में ए डी बी की दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न,,
पवनीत सिंह बिंद्रा
ए डी बी द्वारा मॉडल कैंपस विकसित हेतु यू ओ यू का चयन। एन ई पी के तहत विकसित किया जायेगा मॉडल कैंपस ई एम पी सी को भी किया जायेगा अपग्रेड,,
हलद्वानी,,उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में एशियन विकास बैंक (एडीबी) द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 28 एवं 29 अप्रेल 2025 को किया गया, जिसमें उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) के बारे में विस्तार से चर्चा की गई । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत एशियन विकास बैंक की तकनीकी अनुदान सहायता के माध्यम से माडल कैम्पस विकसित किये जाने हेतु उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय का चयन किया गया है। जिसके लिए पूर्व में कई बैठकों का आयोजन तथा एशियन विकास बैंक टीम द्वारा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया जा चुका है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय उत्तराखंड का एकमात्र मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाला विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय की संपूर्ण उत्तराखंड में 14 विद्याशाखाओं के साथ आठ क्षेत्रीय केंद्र तथा 130 अध्ययन केंद्र में लगभग 90000 से अधिक विद्यार्थी अध्यनरत हैं।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) के सफल क्रियान्वयन के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में एशियन विकास बैंक के टीम के अध्यक्ष डॉ0 पार्थ बनर्जी व टीम द्वारा आईडीपी के सफल क्रियान्वयन तथा विश्वविद्यालय के गुणवत्तापरक विकास के लिए रणनीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) एनईपी 2020 के तहत एक प्रमुख रणनीति है, जो नीति के लक्ष्यों के साथ संरेखित प्रथाओं को लागू करने में उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) का मार्गदर्शन करती है। एक आईडीपी एक संरचित कार्य योजना के रूप में कार्य करती है जो शैक्षणिक संस्थानों को अकादमिक और व्यावसायिक उत्कृष्टता की ओर ले जाती है।
यह लक्ष्य निर्धारण दस्तावेज़ उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए आईडीपी के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशानिर्देशों का संदर्भ देते हुए विकसित किया जा रहा है। इसमें संस्थागत उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आठ सक्षमकर्ता शामिल हैं। लक्ष्य निर्धारण अभ्यास इन आठ सक्षमकर्ताओं की प्रक्रियाओं (शैक्षणिक, अनुसंधान और सहायक) पर आधारित है, जो इनपुट और परिसंपत्तियों (मूर्त और अमूर्त) के सेट का उपयोग करके आउटपुट उत्पन्न करते हैं जिन्हें मात्रात्मक और गुणात्मक संकेतकों के माध्यम से मापा जा सकता है। अगले स्तर पर, ये आउटपुट परस्पर एक-दूसरे को सुदृढ़ करते हैं और आधुनिक विश्वविद्यालयों के ट्रिपल मिशन से जुड़े और भी अधिक समग्र परिणामों को संचालित करने के लिए संश्लेषित होते हैं: शिक्षण-शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार, और सामाजिक योगदान (रोजगार और उद्यमिता सहित)। संकेतकों के लिए रिपोर्ट किए गए किसी भी मात्रात्मक या गुणात्मक डेटा को सत्यापित करने की आवश्यकता है, और 10 वर्षों की अवधि में निगरानी करने योग्य होना चाहिए। बेसलाइन डेटा का उद्देश्य अगले दस वर्षों में संस्थागत विकास को मापने के लिए प्रस्थान बिंदु के रूप में कार्य करना है, जो अल्पकालिक (दो साल तक), मध्यम अवधि (पांच साल तक) और दीर्घकालिक (दस साल तक) में विभाजित है।
दो दिवसीय कार्यशाला में कुलपति प्रो0 ओ पी एस नेगी द्वारा बाहर होने के कारण ऑनलाइन प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो0 रेनू प्रकाश ने किया। कार्यशाला में एशियन विकास बैंक के टीम के अध्यक्ष डॉ0 पार्थ बनर्जी, सदस्य डॉ0 स्नेहा भसीन तथा अविजित चौधरी, ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष प्रो0 जीतेंद्र पांडे, कुलसचिव डॉ0 के. आर. भट्ट, वित्त नियंत्रक श्री सूर्य प्रताप सिंह, एडीबी के नोडल अधिकारी प्रो0 डिगर सिंह फर्स्वान तथा संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) ड्राफ्टिंग समिति के सदस्यगण उपस्थित थे।
