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उत्तराखण्ड

हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता हिशांत आही ने एसडीएम नैनीताल की लापरवाही पर उठाए गंभीर प्रश्न।,

हल्द्वानी,

उत्तराखंड में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता के संदर्भ में, सामाजिक कार्यकर्ता श्री हिशांत आही ने एसडीएम नैनीताल के कार्यों पर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए हैं, विशेष रूप से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी की जिम्मेदारियों के संबंध में।

हिशांत ने बताया कि पिछले छह महीनों में उन्होंने जनहित से जुड़े मुद्दों पर लगभग 10 आरटीआई आवेदन एस0डी0एम0 नैनीताल को ऑनलाइन पोर्टल के मध्यम से दर्ज किए थे जिसमें की उनके द्वारा वन पंचायतों के अभिलेखों में अनियमितताओं, भूमि अतिक्रमण, और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी मांगी गई थी। इन सभी आवेदनों का उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही को बढ़ावा देना था।

हालांकि, इन आवेदनों पर एसडीएम नैनीताल द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, और न ही आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई गई है। हिशांत का कहना है कि यह स्थिति सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 7 के प्रावधानों के अनुसार निहित जवाबदेही की अनदेखी को दर्शाती है, जिसके तहत लोक सूचना अधिकारी को आवेदन प्राप्त होने की तिथि से अधिकतम 30 दिनों के भीतर जवाब देना अनिवार्य है।

हिशांत द्वारा बताया गया कि, “सूचना का अधिकार अधिनियम नागरिकों को पारदर्शिता का अधिकार देता है और यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें समय पर सटीक जानकारी प्राप्त हो। इस प्रकार की स्थिति प्रशासनिक जवाबदेही की खामियों को उजागर करती है।”
उन्होंने प्रशासन से अपेक्षा की है कि वे नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करते हुए आवश्यक जानकारी प्रदान करें।
हिशांत की यह पहल प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार और नागरिकों के विश्वास को बढ़ाने की दिशा में एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है।

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