उत्तराखण्ड
नैनीताल में बालिका सुरक्षा पर कार्यशाला का आयोजन, न्यायालय एवं विभाग सहयोगी,
नैनीताल, 22 सितंबर 2025: किशोर न्याय समिति उच्च न्यायालय उत्तराखंड के नेतृत्व में एवं महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग के सहयोग से उजाला भवाली में “बालिका सुरक्षा भारत में उसके लिए एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण की ओर” विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की गई। इसका उद्देश्य बालिकाओं के खिलाफ हिंसा, बाल विवाह और तस्करी रोकने के उपायों पर चर्चा कर उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना बनाना था।कार्यशाला का उद्घाटन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंदर ने किया, जिनके साथ न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी, आलोक कुमार वर्मा, राकेश थपलियाल, आलोक माहरा एवं सुभाष उपाध्याय ने दीप प्रज्ज्वलन किया। मुख्य न्यायाधीश ने प्रतिभागियों को बालिकाओं से निर्भीक और आत्मविश्वासी बनने का संदेश दिया।कार्यशाला के सत्रों में पीसीपीएनडीटी एक्ट, एमटीपी एक्ट, पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों तथा उनके दुरुपयोग पर व्यापक चर्चा हुई। न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने विशेष रूप से पॉक्सो एक्ट के तहत रिकॉर्डिंग ऑफ स्टेटमेंट पर बातें कही। न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय ने न्यायपालिका की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि यह संस्थाएं बालिका हिंसा को रोकने में सहायता कर रही हैं।कार्यशाला में महिला सशक्तिकरण सचिव चंद्रेश यादव, एनएचएम निदेशक डॉ. रश्मि पंत, पुलिस अधीक्षक निहारिका तोमर सहित राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल और अन्य विशेषज्ञों ने बालिकाओं की सुरक्षा हेतु अपने विचार व्यक्त किए।इस कार्यक्रम में न्यायालय के रजिस्ट्रार, जिला जज, पॉक्सो कोर्ट और बाल न्यायालय बोर्ड के अधिकारी, साथ ही महिला सशक्तिकरण, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण और पंचायत राज विभाग के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे, जिससे बालिका सुरक्षा को लेकर सभी विभागों का एकजुट प्रयास स्पष्ट हुआ।इस कार्यशाला में जारी पुस्तिका “जनरल रूल्स (क्रिमिनल)” तथा सूचना पत्र “पॉक्सो एक्ट 2012” का विमोचन भी किया गया।यह कार्यशाला बालिकाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने और उनके सशक्तिकरण के लिए न्यायपालिका एवं प्रशासन के संयुक्त प्रयासों को मजबूती प्रदान करने का महत्वपूर्ण कदम है।
















