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उत्तराखण्ड
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति युव जन समाज रजिस्टर्ड शाखा उत्तराखंड प्रदेश देहरादून की महानगर के कार्यकर्ताओं की बैठक संपन्न,
January 28, 2025कुलदीप सिंह ललकार देहरादून देहरादून। प्रदेश अध्यक्ष विकास चौहान ने बैठक में उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित...
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उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड में 38 वे राष्ट्रीय खेलों का आगाज,
January 28, 2025हल्द्वानी उत्तराखण्ड में 38 वे राष्ट्रीय खेलों का आगाज मंगलवार को देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री...
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उत्तराखण्ड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 38वें राष्ट्रीय खेलों का किया उद्घाटन,,,
January 28, 2025पिथौरागढ , उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक अवसर लेकर आया है क्योंकि आज हमारे मा •प्रधानमंत्री...
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उत्तराखण्ड
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में साइबर अपराध एवं पोश अधिनियम पर विशेष कार्यशाला,
January 28, 2025नैनिताल, माननीय उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के दिशा निर्देशानुसार एवं माननीय जिला न्यायाधीश महोदय...
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उत्तराखण्ड
परिवहन विभाग की प्रवर्तन कार्रवाई में 144 वाहनों के चालान कर 04 वाहन सीज,
January 28, 2025हल्द्वानी डॉ गुरदेव सिंह संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन एवं सड़क सुरक्षा) हल्द्वानी के निर्देशन पर पर्वतन...
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ब्लू टूथ के एवं नए फीचर के साथ होंडा ने लॉन्च की नई 2025 एक्टिवा 125,.स्कूटर बोले तो एक्टिवा’,
January 28, 2025हल्द्वनी, : होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (HIMSI) ने आज एक्टिवा 125 का नया 08028-अनुपालक संस्क्रण...
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समाजसेवी जौलजीबी धारचूला शकुंतला दताल द्वारा जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी से भेंटकर, घस्कु से कुरीला मोटर मार्ग निर्माण किए जाने हेतु ज्ञापन माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रेषित गया,
January 28, 2025,पिथौरागढ़, माननीय मुख्यमंत्री जी को जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी के माध्यम से घस्कु से कुरीला मोटर मार्ग...
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उत्तराखण्ड
भक्ति का सुगंध बिखेरते हुए 58वें निरंकारी सन्त समागम का सफलतापूर्वक समापन
January 28, 2025जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हल्द्वानी ‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है। परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। एक उदाहरण के द्वारा सतगुरु माता जी ने समझाया कि जैसे कोई दुकानदार अपने काम को पूरी ईमानदारी और संतुलन के साथ करता है, ग्राहक को मांग के अनुसार सही नापतोल करके माल देता है और उसका उचित मूल्य स्वीकारता है। अपने कार्य में पूरी तरह से संतुलन बनाए रखता है। इसी तरह भक्त परमात्मा से जुड़कर हर कार्य उसके अहसास में करता रहता है, सत्संग सेवा एवं सिमरण को प्राथमिकता देता है, यही वास्तविकता में भक्ति का असली स्वरूप है। इसके पहले आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा के साथ एक प्रेमपूर्ण नाता जोड़ने का हो। इसके लिए संतों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत होता है जो हमें अपनी आत्मा का मूल स्वरूप परमात्मा को जानकर जीवन का विस्तार असीम सच्चाई की ओर बढ़ाने की शिक्षा देता है। आपने बताया कि हमें अपनी आस्था और श्रद्धा को सच्चाई की ओर मोड़ना चाहिए और हर पल कदम में परमात्मा के प्रेम को महसूस करना चाहिए तभी सही मायनो में भक्ति का विस्तार सार्थक होगा। समागम की कुछ झलकियां कवि दरबार समागम के तीसरे दिन एक बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें जिसका विषय था ‘विस्तार – असीम की ओर।’महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कोंकणी, भोजपुरी आदि भाषाओं में इस कवि दरबार में काव्य पाठ करते हुए मिशन के दिव्य सन्देश को प्रसारित किया। श्रोताओं द्वारा कवियों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई। मुख्य कवि दरबार के अतिरिक्त समागम के पहले दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का आयोजन लघु रूप में किया गया। इन दोनों लघु कवि दरबार कार्यक्रमों में मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से 6 बाल कवि एवं 6 महिला कवियों ने काव्य पाठ किया जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई। निरंकारी प्रदर्शनी...
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उत्तराखण्ड
विशाल वर्मा बने अखिल एकता उद्योग व्व्यापार मण्डल के जिला अध्यक्ष और हर्षित तिवारी जिला प्रभारी,
January 28, 2025हल्द्वानी आज अखिल एकता उद्योग व्यापार मण्डल के यशस्वी प्रदेश अध्यक्ष जी अनुज कांत अग्रवाल जी...