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हर युवा के प्रेरणा स्रोत थे स्वामी विवेकानंद :- डॉ हृदयेश कुमार,
राष्ट्रीय युवा दिवस का मकसद युवाओं को प्रेरित करना है।
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट द्वारा सैक्टर 56 आशियाना अपार्टमेंट में चल रहे स्कूल में स्वामी विवेकानंद की जयंती का आयोजन किया गया इस पर सभी बच्चों को ट्रस्ट के संस्थापक डॉ हृदयेश कुमार ने स्वामी विवेकानंद की जयंती पर विशेष रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद, उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, इतिहास में एक ऐसे विद्वान के रूप में दर्ज हैं जिन्होंने मानवता की सेवा को अपना सर्वोपरि धर्म माना। 12 जनवरी, 1863 को बंगाल में जन्मे स्वामी विवेकानंद अमेरिका के शिकागो में धर्मसभा में अपने धाराप्रवाह भाषण से अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त करने वाले भारतीय संन्यासी थे।
वे अपने ओजस्वी और बेबाक भाषणों के कारण, विशेषकर युवाओं के बीच, अत्यंत लोकप्रिय थे । इस लिए ही भारत सरकार ने उनके जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में मनाने का संकल्प लिया। मानवता की सेवा और परोपकार के लिए समर्पित स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसके बाद, 1898 में उन्होंने गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी
स्वामी विवेकानंद ने युवाओं में अपार क्षमता देखी और उन्हें देश के भविष्य के निर्माता माना। उन्होंने युवाओं को आत्मविश्वास और ऊर्जा से भर दिया और उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित किया। उनके विचारों ने युवाओं को न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रेरित किया।
स्वामी विवेकानंद के विचारों और आदर्शों को युवाओं तक पहुंचाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए, भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस घोषित किया। इस दिन, देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिनमें युवाओं को शामिल किया जाता है।
राष्ट्रीय युवा दिवस पूरे देश में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में निबंध प्रतियोगिताएं, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल आयोजन किए जाते हैं
राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह युवाओं को एक मंच प्रदान करता है जहां वे अपनी आवाज उठा सकते हैं और अपनी समस्याओं और चिंताओं को व्यक्त कर सकते हैं। यह दिन युवाओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करने का भी एक अवसर है।
इस वर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस का मुख्य विषय “राष्ट्र निर्माण के लिए युवा सशक्तिकरण” है। यह थीम युवाओं को देश के विकास में एक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है। इसके साथ ही, इस वर्ष की थीम “युवा एक स्थायी भविष्य के लिए: लचीलेपन और जिम्मेदारी के साथ राष्ट्र को आकार देना” भी है। यह थीम युवाओं को एक ऐसे भविष्य के निर्माण के लिए प्रेरित करती है जो न केवल समृद्ध हो, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील हो। ताकि वे देश के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें और एक बेहतर कल का निर्माण कर सकें।
स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने वे उनके जमाने में थे। उन्होंने जो कुछ कहा था, वह आज भी युवाओं को प्रेरित करता है। उन्होंने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने, कठिन परिश्रम करने और सफल होने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने युवाओं को सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ने और देश के विकास में योगदान देने के लिए भी प्रेरित किया था।
युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद का संदेश
स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को संदेश दिया था कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने युवाओं को कहा था कि वे अपने देश के लिए कुछ अच्छा करें और मानवता की सेवा करें।
विवेकानंद कहते थे कि खुद को कमजोर समझना दुनिया का सबसे बड़ा पाप है।
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। यह प्रेरणा हमें जीवन के हर संघर्ष का सामना करने और अपने सपनों को साकार करने की शक्ति देती है।
समस्त ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमें प्रदान हैं। वो हम खुद हैं कि अपनी आखों पर हाथ रख लेते हैं और खुद को कोसते हुए रोते हैं कि कितना अंधकार है।
आप जो सोचते हैं, वही आप बनते हैं। स्वामी विवेकानंद का यह विचार हमें सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के महत्व को समझाता है।
डरो मत। डर को खत्म करो और अपनी शक्तियों को पहचानो। उनके ये शब्द बताते हैं कि आत्मविश्वास और साहस से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
जीवन में किसी की निंदा न करें। आप अगर किसी की मदद कर सकते हैं तो जरूर करें। अगर नहीं कर सकते तो हाथ जोड़िए और भगवान से प्रार्थना करिए और उनको अपने मार्ग पर जाने दीजिए।
स्वामी विवेकानंद कहते थे कि जिस काम को करने की प्रतिज्ञा कर लो, उसे ठीक उसी समय पर पूरा करो। क्योंकि ये आपके आत्मविश्वास प्रबल करेगा।
विवेकानंद जी कहते थे कि जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते ।