उत्तराखण्ड
बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा एवम मानवाधिकारों की रक्षा की उठाई मांग।,,
पवनीत सिंह बिंद्रा
हल्द्वानी: मानवाधिकार संगठन के बैनरतले हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में हजारों की संख्या में एकत्र होकर एक स्वर में बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा एवम मानवाधिकारों की रक्षा की मांग उठाई। प्रभु श्रीराम और भारत माता के जयकारों से गुंजायमान सभा स्थल से हिंदू समाज ने बांग्लादेश के मुद्दे पर भारत सरकार से मुखर होकर आगे आने की मांग की। वहीं, एमबी इंटर कॉलेज में विशाल जनसमूह जुलूस के रूप में तिकोनिया चौराहे तक गया, जहां कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के माध्यम से सनातन समाज के प्रमुख लोगो द्वारा राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया।तिकोनिया चौराहे पर हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की।
इस्कॉन के गोपी नाथ दास महाराज ने कहा कि सनातन और हिंदुत्व को बचाने के लिए एकजुट होने का समय है। राष्ट्र की रक्षा के लिए सनातनियों को घर से निकलकर आगे आना होगा। जन-जन को एकत्र करना होगा। त्याग और समर्पण का भाव जागृत कर राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए आगे आना होगा। कहा किसी व्यक्ति विशेष से नफ़रत नहीं है, बल्कि से लोगों से नफरत है जो वंदेमातरम्, भारत राष्ट्र, रामचरित मानस और सनातन से नफरत करता है। उन्होंने हिंदू समाज से एक होने का आह्वान किया। कहा भारत प्रभु श्रीराम और ऋषि-मुनियों की पुण्य भूमि है। हिंदू धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए हम सभी को एक होना होगा, यदि एक हुए तो कोई हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ा पाएगा।
प्रख्यात कथावाचक नमन कृष्ण महाराज* ने कहा बंग्लादेश जब पाकिस्तान से अलग हुआ था तो हिन्दुओं की आबादी 26 प्रतिशत थी लेकिन अब सिर्फ 6 प्रतिशत रह गई है। लगातार डरा-धमकाकर और अत्याचार कर मतांतरण कराया गया। लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विश्व में कहीं भी हिंदू समाज का व्यक्ति रहता है जब उस पर विपत्ति आए हमें जात-पात और ऊंच-नीच छोड़कर उसकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। साथ व्यक्तिगत कोई किसी जाति या वर्ग का हो सकता है, लेकिन जब समूह और समग्र समाज की बात आती है तो हम हिंदू के भाव होना चाहिए। कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पंडितों के साथ नहीं बल्कि हिंदुओं के साथ नरसंहार हुआ था, लेकिन हिंदू एकता का छिन्न-भिन्न करने वाली शक्तियां जाति व वर्ग में बांटने का काम करती हैं, ऐसी शक्तियों को एकता दिखाकर जवाब देना होगा।
कहा कि विश्व एक परिवार का विचार और विश्व कल्याण की बात हिन्दुत्व के अलावा कोई नहीं करता है।
कहा विश्व में मानवता जीवित रखनी है तो हिन्दुत्व का जीवित रहना जरूरी है। हिन्दुत्व के बगैर मानवता की कल्पना नहीं की जा सकती है।
कहा इतिहास में पहली बार हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का विरोध करने कोई मानवाधिकार संगठन खड़ा हुआ है। इससे स्पष्ट है कि हमने अपनी लकीर खींचनी प्रारंभ कर दी है। कहा जो बंग्लादेश देश में हुआ वो हमारे आसपास भी हो रहा है। जनसांख्यिकी में भी तेजी परिवर्तन हो रहा है। ऐसे सतर्क होने की जरूरत है। छह करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से देश में रह रहे हैं। सरकार को इनको बाहर निकालना चाहिए। साथ ही सनातन संस्कृति और परंपराएं हमें पुरखों से विरासत में मिली है। इस अनमोल संपदा के संरक्षण की जिम्मेदारी हमारी है और इस दायित्व को निभाना होगा।
मुख्य वक्ता जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता एग्रीकल्चर प्रो. शिवेंद्र कश्यप ने कहा कि भारत विश्व में एकमात्र हिन्दुओं का सबसे बड़ा देश है। दुनिया में कहीं भी अगर हिंदुओं पर किसी भी प्रकार का अत्याचार होगा भारत में हिंदू समाज खड़ा न हो ऐसा हो नहीं सकता। हिंदू समाज ने हमेशा विश्व शांति की बात की है और कभी किसी पर अत्याचार नहीं किया। उन्होंने कहा जब तक हिंदू एक नहीं होगा तो अत्याचार नहीं रुकेंगे। समग्र समाज को एक होना होगा। भारत सरकार 1971 में जिस तरह हिंदू हितों की रक्षा के लिए खड़ी हुई थी उसी तरह फिर से मुखर होकर आगे आना होगा।
सूरज गिरी महाराज ने भी हिंदुओं की एकता पर बल दिया। कहा कि एक दिन जरूर अलग हुए देश भारत से जुड़ेंगे और अखंड भारत का संकल्प पूरा होगा। साथ ही उन्होंने लोगों के अपने निकटतम मंदिरों में नियमित जाने और पूजन करने की अपील की।
ये रह मौजूद:
प्रांत संघचालक आराएसएस डॉ. बीएस बिष्ट, विभाग प्रचारक इंद्रमोहन, राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन की अध्यक्ष श्रुति गोलवलकर, प्रांत सह प्रचार प्रमुख डॉ. बृजेश बनकोटी,प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख राजेश जोशी, प्रांत सर्वव्यस्था प्रमुख भगवान सहाय, जिला संघचालक डॉ. नीलांबर भट्ट, नगर संघचालक विवेक कश्यप, जिला प्रचारक जितेन्द्र,गोधन धौनी, विधायक बंशीधर भगत, विधायक लालकुआं मोहन सिंह बिष्ट,दर्जा राज्यमंत्री सुरेश भट्ट,दिनेश आर्य, भाजपा प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बिष्ट, जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, निवर्तमान मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला, गजराज बिष्ट, प्रमोद तोलिया ,प्रदीप जनोटी,चंदन बिष्ट,तनुज गुप्ता,प्रहलाद मेहरा,प्रकाश पाण्डेय,बलदेव ,राहुल जोशी,अशोक आर्य,उदित पंत सहित विभिन्न संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन नंदन सिंह डसीला ने किया।
रैली में निम्न संगठन शामिल हुए:
हल्द्वानी मालिक चालक समिति टैक्सी यूनियन, कुमाऊं द्वारा टैक्सी मालिक एवं चालक कल्याण समिति, वरिष्ठ नागरिक जनकल्याण समिति, युवा सामाजिक एवं सांस्कृतिक समिति, प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल, महाराजा अग्रसेन युवा समिति, सशक्त एकता उद्योग व्यापार मंडल, हल्द्वानी पंजाबी जनकल्याण समिति, पाल समाज, पूर्वांचल महासभा, छठ सेवा समिति, वैश्य महासभा, वैश्य महिला समिति, पुनर्वान महिला समिति, माहेश्वरी महासभा, पूर्व अर्धसैनिक कल्याण समिति, पूर्व सैनिक सेवा परिषद, प्राचीन श्री शिव मंदिर सेवा समिति, अखिल ब्राह्मण उत्थान महसभा, महाजन वैश्य महासभा, सारथी फाउंडेशन, पूर्व सैनिक लीग, गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, उत्तरांचल पंजाबी महासभा, गोरखा सेवा समिति, जायसवाल समाज, केसरवानी समाज, साहू समाज, कश्यप समाज आदि मौजूद रहे।
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ज्ञापन में उल्लेखित विषय
विषय: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार और उनके संवैधानिक व अंतर्राष्ट्रीय अधिकारों के उल्लंघन पर
ध्यानाकर्षण
माननीय राष्ट्रपति महोदया,
हम, हल्द्वानी जनपद नैनीताल, उत्तराखण्ड के नागरिकगण, मानव अधिकार मंच के अंतर्गत, बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार और मानवाधिकार हनन की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए यह ज्ञापन प्रस्तुत करते हैं।
बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यक धार्मिक कट्टरपंथियों के अत्याचारों का लगातार शिकार हो रहे हैं। धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं, जहाँ 59% हिंसा धार्मिक स्थलों को निशाना बनाती है, और 69 मंदिरों व अन्य पूजा स्थलों पर अनुष्ठानों के दौरान हमले किए गए हैं।
कट्टरपंथियों द्वारा अल्पसंख्यक महिलाओं के खिलाफ जबरन धर्मातरण, अपहरण और बलात्कार जैसी घटनाएँ आम हो चुकी हैं। बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित जीवन से वंचित किया जा रहा है। साथ ही सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों का व्यवस्थित विनाश जारी है। यह स्थिति बांग्लादेश के संविधान के अनुच्छेद 27, 28, 31, 41 और 42 का उल्लंघन है, जो कानून के समक्ष समानता, यार्मिक स्वतंत्रता
और संपत्ति के अधिकार की गारंटी देता है। इसके अलावा, यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों जैसे सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र
(UDHR, 1948) और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक और राजनीतिक अधिकार संचि (ICCPR, 1966) का भी गंभीर हनन है।
हम चाहते हैं कि:
- भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाए :
भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के माध्यम से यह सुनिश्चित करे कि बांग्लादेश सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वतंत्र जांच आयोग का गठन :
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा एक स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जाए, जो बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निष्पक्ष और विस्तृत जांच करे।
- अपराधियों पर कठोर कार्रवाई:
- बांग्लादेश सरकार यह सुनिश्चित करे कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव में शामिल कट्टरपंथियों को
न्याय के दायरे में लाया जाए और उन्हें कठोर सजा दी जाए।
- पुनर्वास और मुआवजा:
- हिंसा और उत्पीड़न से प्रभावित अल्पसंख्यक समुदायों के पुनर्वास के लिए बांग्लादेश सरकार विशेष योजनाएँ बनाए और उनके आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा प्रदान करे।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए :
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कट्टरपंथियों द्वारा जबरन धर्मातरण, अपहरण और हिंसा को रोकने के लिए बांग्लादेश
सरकार प्रभावी कदम उठाए।
महिला और बाल दमन निवारण अधिनियम (2000) और अन्य प्रासंगिक कानूनों का कठोरता से पालन सुनिश्चित किया जाए।
हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप इन मुद्दों पर विचार करें और बांग्लादेश में सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों हिंदू, बौद्ध, ईसाई और अन्य समुदायों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएँ।