उत्तराखण्ड
पहाड़ी आर्मी ने राजयपाल से ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति का कार्यकाल ना बढ़ाये जाने के लिए ज्ञापन दिया,
पवनीत सिंह बिंद्रा

हल्द्वानी,,,आज पहाड़ी आर्मी ने उपजिलाधिकारी हल्द्वानी के माध्यम से कुलाधिपती / राजयपाल को ज्ञापन भेजा ज्ञापन में उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति सलेक्शन प्रोसेस पर सवाल उठाये है उन्होंने कहा यूनिवर्सिटी भ्रष्टाचार का अड्डा बना है इस भ्रष्टाचार का मुख्या खुद कुलपति है खूब नारे बाजी के साथ पहाड़ी आर्मी के कार्यकर्ताओ उपजिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया.
पहाड़ी आर्मी के प्रमुख चीफ हरीश रावत ने कहा विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति की अवैध प्रक्रिया रोकी जाए क्योंकि इसने विश्वविद्यालय के नियमों का उलंघन लगातार किया जा रहा है कुलपति के दोनों कार्यकाल बिबादास्पद रहा जिसकी जांच सीबीआई से की जाय और कुलपति का कार्यकाल
उन्होंने कहा आगे ना बढ़ाया जाय
वर्तमान में उत्तराखंड सरकार का उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है। इस प्रक्रिया में जानबूझकर वर्तमान कुलपति ओम प्रकाश नेगी को फ़ायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। ओम प्रकाश नेगी की जन्मतिथि 16.7.1958 है. इस तरह वे सड़सठ साल की उम्र पूरी कर चुके हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति की अधिवार्षिता आयु पैंसठ साल है। लेकिन नेगी को फिर से अवैध तौर पर कुलपति बनाने की साजिश रची जा रही है।
इस संबंध में ज़रूरी तथ्य निम्नलिखित हैं-
- उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के ऐक्ट की स्थापना 31 अक्टूबर 2005 को की गई थी।
- उस समय यूजीसी के नियम के अनुसार कुलपति की अधिवार्षिता आयु पूरे देश के विश्वविद्यालयों में 65 वर्ष थी।
3 विश्वविद्यालय परिनियम के नियम 4 (7) के अनुसार कुलपति अपना पद ग्रहण करने की तारीख से 3 वर्ष तक पद धारण करेगा। ऐक्ट में अधिवार्षिता न दिए जाने पर स्पष्ट है कि उस समय यूजीसी की अधिवार्षिता 65 वर्ष ही लागू होगी जो पूरे देश में थी। 2005 में अधिवार्षिता आयु 70 वर्ष नहीं थी।
- यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अनुसार विश्वविद्यालयों में कुलपति की अधिवार्षिता 65 से बड़ाकर 70 की गई बशर्ते संबंधित विश्वविद्यालय अपने ऐक्ट में संशोधन कर लें। जिन विश्वविद्यालय के ऐक्ट इस सम्बन्ध मे संशोधित किये गये उन विश्वविद्यालय मे कुलपति की अधिवर्षता 70 हुई अन्य सभी में 65 ही है। उदाहरण के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा ऐक्ट में संशोधन नहीं किया गया। अतः कुलपति की अधिवर्षता 65 है।5. यूजीसी रेगुलेशन 2018 में कुलपति की अधिवर्षता वर्णित नहीं है। क्योंकि यूजीसी द्वारा पूर्व रेगुलेशन 2010 में ही कुलपति की अधिवार्षिता आयु स्पष्ट कर दी गई थी तब से वही चला आ रहा है।
6.यूजीसी रेगुलेशन 2018 के अनुसार 65 वर्ष के बाद तो कुलपति पद हेतु आवेदन के लिये अर्ह ही नहीं होता है. सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मे कुलपति के आवेदन मे स्पष्ट होता है. स्पष्ट उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ने उच्च शिक्षा विभाग और कुलाधिपति कार्यालय को गुमराह कर या कुछ भ्रष्ट लोगों के साथ जोड़तोड़ कर इस अवैध प्रक्रिया को अंजाम दिया है। - उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में भी यूजीसी की नियमानुसार तब तक अधिवर्षता आयु 70 वर्ष नहीं हो सकती जब तक ऐक्ट/नियमावली में संशोधन न किया जाए। मुक्त विश्वविद्यालय की नियमावली में इस संबंध में कोई संशोधन नहीं किया गया है। अतः यूजीसी के नियमानुसार अधिवर्षता आयु 65 ही है। जिसे गलत तरीके से वर्तमान कुलपति द्वारा अपने हित में प्रचारित किया जा रहा है।
8 यूजीसी के नियम के अनुसार बिना ऐक्ट में संशोधन के अधिवर्षता आयु 65 से 70 किया जाना अवैध है। प्रो ओम प्रकाश नेगी की कुलपति पद पर वर्तमान अवैध नियुक्ति तत्काल निरस्त की जाये. 65 वर्ष से अधिक आयु के अभ्यर्थियों को कुलपति नहीं बनाया जा सकता। 65 वर्ष से अधिक आयु के अभ्यर्थियों को सर्च कमेटी द्वारा बुलाया जाना अथवा पैनल में लिया जाना अवैध है।
वर्तमान कुलपति ओम प्रकाश नेगी ने विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार किया है। इस सिलसिले में मैंने कई बार राज्य सरकार और कुलाधिपति को सूचित भी किया है। उच्च न्यायालय में नेगी के कार्यकाल में हुई भ्रष्टाचार को लेकर तीन मुकदमे दर्ज हैं. भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे कुलपति की फिर से नियुक्ति के बजाय उनके ख़िलाफ़ जांच कर मुक़दमा दर्ज किया जाना चाहिए।
आपसे निवेदन है कि कुलपति चयन की प्रक्रिया को नियमानुसार सही करते हुए 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को कुलपति हेतु योग्य न समझा जाए। पैंसठ साल की उम्र पूरी होने के बाद भी प्रो ओम प्रकाश सिंह नेगी की कुलपति पद पर की गई अवैध नियुक्ति को तत्काल निरस्त किया जाये।
इस सन्दर्भ मे की गई कार्यवाही से हमारे संगठन को भी सूचित करने की कृपा करे.
यदि कुलपति चयन की प्रक्रिया से ओम प्रकाश नेगी को तुरंत बाहर नहीं किया गया तो इस प्रकरण को लेकर जनता में उग्र आंदोलन किया जायेगा।
इस दौरान प्रदेश संगठन महामंत्री विनोद शाही, नगर अध्यक्ष फौजी भुवन पाण्डेय, कोषाध्यक्ष भगवंत राणा, जिला अध्यक्ष मोहन कांडपाल, जिला संगठन महामंत्री फौजी राजेंद्र कांडपाल, मिडिया प्रभारी कमलेश खंडूरी, दीपक गंगोला, अरुण शाह, कपिल शाह, हरेंद्र राणा,फौजी सूबेदार मेजर दिनेश जोशी, फौजी कमलेश जेठी आदि मौजूद थे



