उत्तराखण्ड
रामलीला संचालन नवें दिन में शबरी आश्रम, राम सुग्रीव मित्रता, सीता खोज, लंका दहन की लीला का मंचन व्यास जी द्वारा कराया गया ।
अजय कुमार वर्मा
रामलीला संचालन नवें दिन आज श्री रामलीला मैदान में शबरी आश्रम, राम सुग्रीव मित्रता, सीता खोज, लंका दहन की लीला का मंचन व्यास जी द्वारा कराया गया ।रात्रि लीला में दशरथ मरण, भारत मिलाप, पंचवटी , सूर्प नखा नासिका छेदन खर दूषण वध आदि का मंचन वृंदावन से पधारे व्यास भारत भूषण शर्मा द्वारा कराया गया।
दिन की लीला में भगवान राम और लक्ष्मण जी सीता माता की खोज में वन वन भटकते हुए, शबरी के आश्रम पहुंच जाते हैं, भगवान को सामने पा कर शबरी बहुत प्रसन्न होती है और भावुक हो कर भगवान को जलपान कराती हैं, वह प्रभु के प्रेम में इतनी खो जाती हैं कि बेर को चख चख कर बेर खुद खाती हैं और मीठे झूठे बेर फिर भगवान को खिलाती हैं, प्रेम के भूखे प्रभु झूठे बेर ही खाते जाते हैं, पर लखन लाल यह देख कर झूठे बेरों को पीछे फेक देते हैं। जब शबरी की यह पता चलता है की प्रभु सीता जी की खोज में यहां आए हैं तो
शबरी द्वारा बताया जाता है कि प्रभु आप दक्षिण दिशा में स्थित पंपापुर पर्वत पर जाइए वहां आपको सुग्रीव आदि वानर मिलेंगे वही आपकी सीता जी की खोज में सहायता करेंगे।
भगवान श्री राम आगे बढ़ते हैं और पंपापुर के पास किसकिंधा पर्वत पर पहुंचते हैं, जहां पर उनकी मुलाकात हनुमान जी से होती है, हनुमान जी ही भगवान श्री राम और लखन को अपने कंधे पर बैठा कर सुग्रीव के पास ले कर जाते हैं।
भगवान द्वारा सुग्रीव से मित्रता की जाती है, और सुग्रीव को सारा वृतांत बताया जाता है।सुग्रीव जी कहते हैं कि प्रभु मैने कुछ दिन पहले आकाश में पुष्पक विमान से रावण को किसी महिला को दक्षिण की तरफ ले जाते हुए देखा, उनके द्वारा हा राम, हा राम कहते हुए कुछ आभूषण नीचे फेके गए, उनमें से कुछ मैं आपको दिखाता हूं अगर सीता माता के आभूषण हैं तो आप पहचान ही लेंगे।
श्री राम द्वारा लक्ष्मण से पूंछा जाता है कि लक्ष्मण तुम देखो क्या ये आभूषण सीता के हैं लक्ष्मण जी कहते है प्रभु मैने कभी माता के चेहरे को नहीं देखा ये आभूषण मैं नहीं पहचान पाऊंगा।
भगवान श्री राम को सुग्रीव जी द्वारा माता सीता की जानकारी दी जाती है। सुग्रीव द्वारा भगवान को अपने भाई बाली के विषय के बारे में बताया जाता है, भगवान राम द्वारा बाली का वध करके किष्किंधा का राज सुग्रीव को दिया जाता है।
उसके पश्चात वानरों और रीछों द्वारा सीता जी की खोज होती है । हनुमान जी सीता खोज में लंका पहुंचते हैं, माता सीता को भगवान राम की मुद्रिका दिखाते हैं जिसे पहचान कर माता सीता को विश्वास होताहै की यह राम दूत ही है, हनुमान जी चूड़ा मढ़ी ले कर आते हैं, साथ ही लंका दहन भी कर आते हैं।
आज व्यास पूजन गोधन धौनी जी, मनोज जोशी, चंदन बिष्ट आदि ने किया।
हनुमान जी का पाठ अमित जोशी ने किया। आज की लीला ने गौरव अग्रवाल, नरेंद्र साहनी आदि उपस्थित रहे। रामलीला संचालन समिति से रूपेंद्र नागर, अजय राजौर, भवानी शंकर नीरज , विनीत अग्रवालआदि उपस्थित रहे। नगरनिगम की वेणी सेना,पंजाबी महिला समिति, लायनेस क्लब, आल इण्डिया लायनेस क्लब प्रयास द्वारा सेवा दे दी गई। संचालन में हिमांशु गांधी,महेश राजा, नब्बु भाई और सुशील शर्मा संजय गोयल आदि द्वारा सहायता की गई।