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उत्तराखण्ड

महिलाओं के प्रति अपराधों में पीड़िताओं को त्वरित न्याय दिलाने, अपराधों पर रोक लगाने और प्रदेश सरकार द्वारा शराब की नयी दुकानों को बनाने पर रोक लगाने की मांग को लेकर दिया ज्ञापन ,,


सितारगंज, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन (ऐपवा) ने आज सितारगंज में महिलाओं के प्रति अपराधों में पीड़िताओं को त्वरित न्याय दिलाने, अपराधों पर रोक लगाने और प्रदेश सरकार द्वारा शराब की नयी दुकानों को बनाने पर रोक लगाने की मांग को लेकर ज्ञापन दिया।

ज्ञापन देते हुए ऐपवा संयोजक अनिता अन्ना ने कहा कि केवल मार्च महीने में ही महिलाओं के खिलाफ हुए इन दर्जनों मामलों से यह देखा और समझा जा सकता है कि इस राज्य में महिलाएं कितनी असुरक्षित है। इसके साथ ही, हम राज्य में हाल ही में खोली गई नई शराब की दुकानों के कारण उत्पन्न सामाजिक समस्याओं और उनके महिलाओं पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त करना चाहते हैं। उत्तराखंड, जिसे महिलाओं के लिए सुरक्षित राज्य के रूप में जाना जाता था, आज उसकी पहचान पर एक गहरा संकट मंडरा रहा है। मार्च 2025 में राज्य के विभिन्न हिस्सों से महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के खिलाफ अपराध की जो खबरें सामने आई हैं, वे न केवल दिल दहलाने वाली हैं, बल्कि समाज में व्याप्त असुरक्षा और नैतिक पतन को भी उजागर करती हैं। देहरादून में एक महिला दरोगा के साथ उसी पुलिस विभाग के एक सिपाही द्वारा बलात्कार और ब्लैकमेलिंग की घटना हुई। जिसने पुलिस व्यवस्था की विश्वसनीयता पर ही गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। ऋषिकेश जहां एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार का मामला सामने आया। यह घटना समाज में बच्चों की असुरक्षा और अपराधियों के बढ़ते हौसले को दर्शाती है।  टिहरी में एक युवती के घर में जबरदस्ती घुसकर बलात्कार का प्रयास किया गया, जिसमें बीजेपी नेता समेत तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। यह घटना न केवल आपराधिक मानसिकता को उजागर करती है, बल्कि राजनीतिक संरक्षण के दुरुपयोग की ओर भी संकेत करती है। हरिद्वार में आठ साल की एक मासूम बच्ची के साथ बलात्कार की घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया। पिथौरागढ़ में एक मूकबधिर लड़की के साथ 60 साल के बुजुर्ग द्वारा बलात्कार की घटना सामने आई। यह समाज के सबसे कमजोर वर्गों की दुर्दशा और उनके प्रति संवेदनहीनता को दर्शाता है। पोक्सो एक्ट में आरोपी भाजपा नेता की जेल में बैठक व फिर उसकी जमानत मंजूर होना दिखाता है कि रसूखदार और सत्ताधारी लोग कैसे अपराध करने के बाद भी आसानी से बच जाते है। उधम सिंह नगर में आए दिन यौन उत्पीड़न की घटना सुनने को मिलती है। पुलिस विभाग में कार्यरत एक अधिकारी द्वारा लैंगिक भेदभाव का मामला सामने आया जब उसकी पत्नी ने शिकायत दर्ज की। कि किस तरह से उसका पति बार-बार बेटी पैदा होने पर उसका उत्पीड़न करता है। बड़ी मुश्किल से उस महिला की रिपोर्ट दर्ज की गयी।
अनिता अन्ना ने कहा कि इन अपराधों के पीछे कई सामाजिक और व्यवस्थागत कारण हैं। हाल ही में राज्य में नई शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप नशे की लत और उससे जुड़े अपराधों में वृद्धि देखी जा रही है। शराब का सेवन न केवल घरेलू हिंसा को बढ़ावा देता है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं, महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी घटनाओं के बढ़ने में भी योगदान देता है। हमारा मानना है कि शराब की इन दुकानों को बंद करना, न केवल अपराधों को कम करने में सहायक होगा, बल्कि समाज में स्वस्थ माहौल बनाने में भी मदद करेगा। सरकार हर साल सैकड़ों सरकारी स्कूलों को बंद करवाकर नयी शराब की दुकाने खुलवाने का जनविरोधी काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि ज्ञापन के माध्यम से ऐपवा ने महिलाओं के प्रति होने वाले यौन उत्पीड़न और भेदभाव पर रोक लगाने, त्वरित कार्यवाही करने, पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करने, नयी दुकानों का आवंटन रद्द करने आदि मांग की है।

इस दौरान अनिता अन्ना , तारी जोशी,ज्योति चंद, रवींद्र कुमार , धर्मानंद जोशी, मौजूद थे।

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