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उत्तराखण्ड

माले की दो दिवसीय राज्य कमेटी की बैठक सम्पन्न

• नयी सरकार का पहला काम राज्य में
खाली पड़े पदों पर नियुक्ति करने का होना चाहिये : माले
• भाकपा (माले) 28-29 मार्च की राष्ट्रीय हड़ताल का सक्रिय समर्थन करेगी
• माले की दो दिवसीय राज्य कमेटी की बैठक सम्पन्न

भाकपा (माले) की उत्तराखण्ड राज्य कमेटी की चुनाव समीक्षा व भावी कार्यक्रम तय करने के लिए दो दिवसीय बैठक दीपक बोस भवन, कार रोड बिन्दुखत्ता में सम्पन्न हुई।

राज्य कमेटी बैठक में कहा गया कि, “चार राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता में वापसी की है। पंजाब में, न केवल कांग्रेस बल्कि ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि अकाली दल की कीमत पर आम आदमी पार्टी को बदलाव के लोकप्रिय मूड का एकमात्र लाभ मिला और उसने जीत हासिल की। यह बदलाव की लोकप्रिय उम्मीदों की गहराई को दर्शाता है, जो पंजाब में किसान आंदोलन द्वारा फिर से उर्जान्वित हुआ।”

भाकपा (माले) राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “उत्तराखंड में, भाजपा ने चुनाव से कुछ महीने पहले सीएम बदल दिया था और वह चुनाव हार गए, लेकिन गुटों में बंटी कांग्रेस एक प्रभावशाली चुनावी चुनौती नहीं दे सकी और भाजपा कुछ सीटों के नुकसान के साथ बच गई। उत्तराखंड में 21 सालों से चल रही लूट खसोट की राजनीति के पक्ष में ही सामाजिक ध्रुवीकरण हुआ है। विधानसभा के अन्दर एक कारगर विपक्ष का निर्माण अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। भाजपा के साम्प्रदायिक उन्माद के खिलाफ वामपंथी पार्टियों ने संयुक्त रूप से प्रदेश में एक मुक्कमल अभियान चलाया। वाम दलों को भले ही चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिली लेकिन यह वामपंथी पार्टियां ही थीं जिन्होंने भाजपा की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ चुनौती पेश की। उत्तराखण्ड में जनविरोधी विकास के मॉडल के खिलाफ बनी वामपंथी एकता को मजबूत करते हुए तमाम वाम लोकतांत्रिक शक्तियों को लूट खसोट और उन्माद की राजनीति के खिलाफ एकताबद्ध करने की कोशिशें तेज़ की जायेंगी।”
उन्होंने कहा कि,”नयी सरकार का पहला काम राज्य में
खाली पड़े पदों पर नियुक्ति होना चाहिये। यदि यह नहीं किया गया तो राज्य के बेरोजगारों को संगठित कर इसके लिए जनांदोलन किया जायेगा।”

उन्होंने कहा कि, “विधानसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित होकर मोदी सरकार और संघ-भाजपा ब्रिगेड अपने फासीवादी हमले को और तेज करेंगे. लोकतंत्र की ताकतों को इसका और बड़ी एकता व दृढ़ संकल्प के साथ मुकाबला करना होगा।”

बैठक में तय किया गया कि भाकपा (माले) चुनाव में उठाये गए मुद्दों को नयी सरकार के समक्ष पूरी तत्परता से उठाते हुए जनता के बीच जायेगी। रोजगार, आवारा पशुओं का सवाल, राजस्व गाँव के प्रस्ताव जैसे सवालों को नयी विधानसभा के पहले सत्र में पारित कर खाली पदों पर नियुक्ति, आवारा पशुओं से किसानों को निजात और राजस्व गाँव बनाने की प्रक्रिया शुरू सरकार शुरू करे। यदि विधानसभा के पहले सत्र में इन मुद्दों पर सरकार ने पहल नहीं ली तो इन सवालों पर आंदोलन संगठित किया जायेगा। साथ ही केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा संयुक्त रूप से आहूत 28-29 मार्च की दो दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल को सक्रिय समर्थन करने का फैसला लिया गया।

राज्य कमेटी बैठक में माले की केंद्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड राजेंद्र प्रथोली, डॉ संजय शर्मा, इन्द्रेश मैखुरी, के के बोरा, आनन्द सिंह नेगी, बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश, अतुल सती, के पी चंदोला, विमला रौथाण, ललित मटियाली, एडवोकेट कैलाश जोशी, एडवोकेट दुर्गा सिंह मेहता, किशन बघरी आदि मौजूद रहे।

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