उत्तराखण्ड
कुमाऊँ राजमार्ग’ भीमताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली जंग खाती बंजर पड़ी एम्बुलेंस, स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी करता स्वास्थ्य विभाग,
भीमताल: कुमाऊँ राज मार्ग पर तल्लीताल में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, भीमताल नगर और आसपास के दो दर्जन से अधिक गांवों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का एकमात्र सहारा है। लेकिन पिछले दो दशकों से इस केंद्र की बदहाल स्थिति ने स्थानीय लोगों को निराश किया है। समाजसेवी पूरन चंद्र बृजवासी ने शासन-प्रशासन से बार-बार इस केंद्र को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस करने और इसका उच्चीकरण करने की मांग की है, लेकिन उनकी मांगें अनसुनी रह गई हैं।स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। दुर्घटना, प्रसव, और छोटे-मोटे मामलों में मरीजों को अक्सर हल्द्वानी शहरों के अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। जंग खाती एम्बुलेंस, जिसे ‘खुशियों की सवारी’ कहा जाता है, सुबह-शाम और रात के समय मरीजों की अनदेखी करती है। गरीब मरीजों को दवाइयों के लिए निजी मेडिकल स्टोरों का सहारा लेना पड़ता है, जबकि केंद्र सरकार ‘जेनेरिक औषधि केंद्र’ खोलने की बात करती है। समाजसेवी की मांग: आधुनिक सुविधाओं से लैस हो अस्पताल पूरन चंद्र बृजवासी ने स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को स्वीकृत चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्टाफ से सुसज्जित किया जाए। उन्होंने जेनेरिक औषधि केंद्र, पैथोलॉजी लैब, आधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीन, डॉग बाइट इंजेक्शन, और 24 घंटे छोटी-बड़ी एम्बुलेंस की उचित व्यवस्था की मांग की है। बृजवासी ने इस मुद्दे पर पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को भी ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय जनता में रोष, प्रशासन की चुप्पी स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली न केवल उनकी सेहत के लिए खतरा है, बल्कि यह भीमताल शहर की छवि को भी धूमिल कर रही है। समाजसेवी बृजवासी ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो जनता को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। उन्होंने पुनः स्वास्थ्य विभाग और राज्य सरकार से मांग की है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उच्चीकरण कर इसे आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से परिपूर्ण किया जाए।निष्कर्ष
भीमताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा सुधारने के लिए शासन-प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। स्थानीय लोगों की उम्मीदें अब केवल कागजी घोषणाओं से नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही से पूरी होंगी।




