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उत्तराखण्ड

होली गायन के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं गीता परिहार


अजय उप्रेती लालकुआ

हल्द्वानी यहां राजा रानी बिहार निकट बिड़ला स्कूल के समीप रहने वाली गीता परिहार के अंदर देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति के प्रचार प्रसार का जज्बा कूट-कूट कर भरा है वह जहां यहां के पौराणिक देवस्थानों का प्रचार प्रसार कर रही है वहीं उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए होली गायन को सशक्त माध्यम के रूप में चुना है सुरीली आवाज की धनी गीता परिहार अपनी टीम के साथ जगह-जगह होली गायन कर पुरातन संस्कृति को समृद्धशाली बनाने में जुटी है गीता परिहार का कहना है कि देवभूमि में रहना ही अपने आप में सौभाग्य की बात है क्योंकि देवभूमि में 33 कोटि देवताओं का वास माना जाता है उन्होंने कहा कि होली का देवभूमि से गहरा संबंध रहा है और मंदिरों में होली गायन की शुरुआत कर सभी की मंगल कामना की जाती है उन्होंने कहा कि देवभूमि के नाम से विख्यात उत्तराखंड की भाषा संस्कृति रीति रिवाज को समृद्धशाली बनाकर इसे तीर्थाटन के साथ-साथ पर्यटन के रूप में भी उचित स्थान दिलाया जा सकता है और इसी उद्देश्य के लिए वह होली गायन के माध्यम से इसे सशक्त बनाने में जुटी है उन्होंने समस्त लोगों से आवाहन कर कहा है कि अपनी भाषा अपनी संस्कृति अपनी परंपराओं को सुदृढ़ बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें उनके द्वारा यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी होली गायन का कार्य किया गया है

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