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उत्तराखण्ड

गलत खनन नीति के कारण उत्तराखंड में हजारों करोड़ के खनन घोटाले की जांच राज्य सरकार के प्रभाव से मुक्त किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी/CBI से कराए जाने की मांग की है,,,

Press release….

गलत खनन नीति के कारण उत्तराखंड में हजारों करोड़ के खनन घोटाले की जांच राज्य सरकार के प्रभाव से मुक्त किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी/CBI से कराए जाने की मांग वाली गौलापार (हल्द्वानी) निवासी एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी की जनहित याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा तत्काल सुनवाई की मांग पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और जस्टिस राकेश थपरियाल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई, सुनवाई में हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है और सुनवाई की अगली तिथि 3.7.24 को निर्धारित कर दी है।

अपनी जनहित याचिका में रविशंकर जोशी ने कहा की तत्कालीन सरकार की गलत नीति के कारण राज्य के राजकोष को 1500 करोड़ से ज्यादा की हानि हुई है। अक्टूबर 2021 में तत्कालीन धामी सरकार ने उत्तराखंड राज्य की खनन नीति में एक बड़ा परिवर्तन किया गया था, यह संशोधन 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले किया गया था। जिसे सितंबर 2022 में नैनीताल हाईकोर्ट ने 2G स्पैक्ट्रम की तरह राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का अवैध दोहन/घोटाला मानते हुए इसे रद्द कर दिया था। RTI से प्राप्त आंकड़ों से जानकारी सामने आई कि खनन नीति में हुए इस परिवर्तन के कारण उत्तराखंड राज्य के राजकोष को 1500 करोड़ से ज्यादा की चपत लगी।

जिस पर रविशंकर जोशी द्वारा एक जनहित याचिका नैनीताल हाईकोर्ट में डाली गई, जिसमें इस घोटाले के दोषियों के विरुद्ध राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त किसी जांच-एजेंसी/CBI से इस घोटाले की जांच की मांग की गई। क्योंकि राज्य की खनन नीति में यह संशोधन राज्य के वर्तमान माo मुख्यमंत्री धामी व उनकी कैबिनेट द्वारा किया गया था और राज्य में ऐसी कोई भी जांच एजेंसी नही है जो मुख्यमंत्री के प्रभाव व नियंत्रण से बाहर हो। राज्य की सभी जांच एजेंसी/विभाग मुख्यमंत्री के अधीन है इसलिए याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी द्वारा किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी/CBI से इस घोटाले की जांच की मांग की गई।

जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने CBI व राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा। अपने काउंटर में CBI ने कोर्ट के आदेश का पालन करने की बात कही।

एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी की PIL दायर होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने राज्य की खनन नीति को घोटाला मानने के संबंध में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द करने हेतु सुप्रीम कोर्ट में एक SLP दायर की, परंतु बाद में उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वयं SLP को वापस लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की SLP को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड सरकार की SLP खारिज होने पर याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में तत्काल CBI जांच की मांग वाली अर्जेंसी एप्लीकेशन लगाई गई। आज अर्जेंसी एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है की सुप्रीम कोर्ट से SLP वापस लेने के बाद उत्तराखंड सरकार ने खनन घोटाले की जांच के संबंध में क्या-क्या कार्यवाही की है।

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