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उत्तराखण्ड

डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल में है इन दिनों अराजक तत्वों का राज,

हल्द्वानी: डॉ. सुशीला तिवारी अस्पताल, जो शहर के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है, इन दिनों अराजक तत्वों का गढ़ बन चुका है। मरीजों और उनके तिमारदारों के लिए यह अस्पताल अब नासूर बन चुका है, क्योंकि यहां दिनदहाड़े जेब काटने जैसी घटनाएं हो रही हैं और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से नाकाम हो गई है।
हाल ही में एक ऐसी ही घटना का शिकार बने हल्द्वानी के निवासी कैलाश चंद कपिल। कैलाश जब अपनी जांच करवाने के बाद बिल कटवाने के लिए बिलिंग काउंटर पर खड़े हुए, तो उन्होंने देखा कि उनके पीछे एक युवक सफेद रंग की कमीज और काले रंग की पेंट पहने खड़ा था। कैलाश ने बिल कटवाने के बाद अपना पर्स अपनी जेब में रखा, लेकिन तभी युवक ने उनकी जेब से पर्स चुरा लिया और किसी को भनक भी नहीं लगी।
कैलाश ने जब दूसरी बार बिल कटवाने के लिए अपना पर्स निकाला, तो पाया कि उनका पर्स गायब था। उन्होंने तत्काल इसकी शिकायत अस्पताल के सुरक्षा गार्ड से की, लेकिन सुरक्षा गार्ड ने एक हैरान करने वाली प्रतिक्रिया दी। उसने कहा, “हम किस-किस का ध्यान रखें? आपको अपनी जेब और सामान का खुद ध्यान रखना चाहिए। यह हमारा काम नहीं है।” यह सुनकर कैलाश को झटका लगा और वह अस्पताल प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग करने लगे।
कैलाश ने बताया कि उनके पर्स में नकदी और जरूरी दस्तावेज थे। हालांकि, पैसे की तुलना में दस्तावेज कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण थे। उन्होंने अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज निकाली, जिसमें वह युवक सफेद रंग की कमीज पहने साफ दिखाई दे रहा था, जो उनकी जेब से पर्स निकालकर अस्पताल से बाहर फेंक देता है। यह फुटेज साफ तौर पर दर्शाता है कि चोरी की घटना घटित हुई थी, लेकिन सुरक्षा गार्ड ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
यह सवाल खड़ा करता है कि जब अस्पताल में इस तरह के घटनाएं हो रही हैं, तो सुरक्षा व्यवस्था किस हद तक प्रभावी है? अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा गार्ड की जिम्मेदारी क्या है? क्या ये केवल खानापूरी के लिए तैनात किए गए हैं, या उनका कोई वास्तविक उद्देश्य है? अस्पताल की सुरक्षा में अगर इस तरह की चूक हो रही है, तो अस्पताल में इलाज कराने आने वाले गरीब और असहाय लोग कब तक इस तरह की घटनाओं का शिकार होते रहेंगे?
कैलाश कपिल ने इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन से जवाबदेही की मांग की और कहा कि उन्होंने अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज निकालकर सच्चाई सामने लाने की कोशिश की, ताकि यह साबित हो सके कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से कमजोर है और इसे तत्काल सुधारने की जरूरत है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन इस घटना के बाद सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगा और मरीजों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा, या यह सिर्फ एक और घटना रह जाएगी, जो समय के साथ भूल जाई जाएगी।

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