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उत्तराखण्ड

परीक्षा तिथि आगे न बढ़ने पर कोर्ट जाएंगे।,,

देहरादून,,राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उत्तराखंड पीसीएस मुख्य परीक्षा के लिए तय की गई तिथि आगे ना बढ़ाए जाने पर कोर्ट की शरण में जाने की बात कही है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड के हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के साथ उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने सीधे-सीधे धोखा किया है और इसके लिए सीधे तौर पर आयोग के अध्यक्ष और सचिव जिम्मेदार हैं।
उन्होने कहा कि अंग्रेज़ी पाठ्यक्रम के 400 नंबर वाले लगभग 27 प्रतिशत पाठ्य सामग्री हिंदी पाठ्यक्रम वाले अभ्यर्थियों को बताई ही नहीं गई है। यदि शीघ्र संशोधित पाठ्यक्रम जारी नहीं किया गया तो कोर्ट की शरण ली जाएगी।

इसके अलावा पीसीएस मुख्य परीक्षा का 60% सिलेबस नवीन है जिसके लिये अन्य राज्यों के अभ्यर्थी जहां लगातार तैयारी करते हैं वहीं राज्य के अभ्यर्थी सिर्फ 2.5 महीने में तैयारी करनी है जो विषम परिस्थितियों वाले हमारे राज्य के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है। ये जानबूझकर बनाई गई योजना प्रतीत होती है जिससे अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को लाभ मिल जाये।

शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि पीसीएस प्रीलिम्स के रिजल्ट और मुख्य परीक्षा के बीच मात्र 2.5 महीने का समय दिया गया है जबकि अन्य राज्यो में सिलेबस परिवर्तित होने पर न्यूनतम 3 से 4 महीने का समय मिलता है।

सेमवाल ने कहा कि छात्रों को राज्य की दो प्रमुख परीक्षाओं RO/ARO मेंस और pcs मुख्य परीक्षा 20 दिन के अंतराल में देनी है जिससे राज्य के छात्रों का अहित हो रहा है क्यूंकि RO/ARO में सिर्फ राज्य के अभ्यर्थी भाग लेते हैं व pcs में अन्य राज्यों के अभ्यर्थी भाग लेते हैं,जहाँ राज्य के अभ्यर्थी RO/ARO के लिए तैयारी कर रहे हैं वहीं अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों हेतु इसकी तैयारी का पर्याप्त समय मिल गया है।

पूरी परीक्षा के 400 नंबर की विषयवस्तु हिंदी पाठ्यक्रम से गायब।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा “उत्तराखंड सम्मिलित राज्य सिविल/प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा–2024 का विज्ञापन, विज्ञापन संख्या: A-2/E-1/PCS/2023-24 के क्रम में दिनांक – 14 मार्च 2024 को प्रकाशित किया गया। जिसके साथ प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा का पाठ्यक्रम अति महत्वपूर्ण निर्देश बिंदु (10) के अनुसार, परिशिष्ट – 2 के अंतर्गत दिया गया। साथ–ही उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के द्वारा मुख्य परीक्षा की योजना के साथ पुनः पाठ्यक्रम को वेबसाइट के माध्यम से दिनांक 11 सितंबर 2024 को जारी किया गया।
पाठ्यक्रम के कुछ अंश, जो कि अंग्रेजी भाषा में हैं, को हिंदी भाषा में लिखे पाठ्यक्रम से पूरी तरह से विलोपित कर रखा है।
सामान्य अध्ययन – 2 ( शासन व्यवस्था, संविधान, शासन – प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध) के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में प्रकरण –
• Interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation
• Development processes and the development industry – the role of NGOs, SHGs, various groups . लिखित है। लेकिन हिंदी में इस प्रकार का कोई भी प्रकरण नहीं है।
सामान्य अध्ययन – 4 ( नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि) के अंग्रेजी पाठ्यक्रम में प्रकरण
– dedication to public service
– tolerance and compassion towards the weaker – sections.
– concerns and dilemmas in government and private institutions; laws, rules, regulations and conscience as sources of ethical guidance; accountability and ethical governance लिखित है। लेकिन हिंदी में इस प्रकार का कोई भी प्रकरण नहीं है।
यह दोनों प्रश्नपत्र कुल परीक्षा का 400 अंक (लगभग 27%) हैं। यदि प्रश्नपत्र में इन क्षेत्रों से प्रश्नपत्र का निर्माण किया जाता है तो हिंदी माध्यम से तैयारी करने वाले तमाम छात्र पूरी प्रतियोगिता से बाहर हो जायेंगे।
चूंकि विज्ञापन में कहीं भी इस तथ्य को उजागर नहीं किया गया है कि यदि विज्ञापन में किसी प्रकार की कोई मुद्रण या तथ्यात्मक त्रुटि हो तो विज्ञापन के अंग्रेजी और हिंदी रूपान्तरों में से अंग्रेजी रुपान्तर को मानक माना जायेगा। साथ–ही अति महत्वपूर्ण निर्देश बिंदु (18) में Uttrakhand Public Service Commission (Procedure and Conduct Of Business) Rules – 2013 की चर्चा है। उपर्युक्त नियम में हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अनुवाद का समाधान केवल परीक्षा के लिए है, न कि विज्ञापन के लिए।
“If there is any discrepancy/factual error in the Hindi and English versions of a question, The English version shall be considered standard”
ऐसे में आवश्यक नहीं कि अभ्यर्थी द्वारा अंग्रेजी भाषा में लिखित पाठ्यक्रम पर ध्यान दिया जाए। राज्य में हिंदी भाषी लोगों की अधिकता ही नहीं है, बल्कि राज्य ने शासकीय प्रयोजन के लिए हिंदी को राजभाषा के रूप में अंगीकार किया है। इसी क्रम में सामान्य हिन्दी का एक प्रश्नपत्र भी मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में पाठ्यक्रम में विसंगति को दूर कर संशोधित पाठ्यक्रम जारी करते हुए प्रतियोगिता को सभी के लिए समान बनाने की मांग की गयी है साथ – ही संशोधित पाठ्यक्रम के आधार पर यथोचित समय देते हुए परीक्षा तिथि आगे बढाने की मांग की गयी है।

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