Connect with us

उत्तराखण्ड

एरीज 104 सेंटीमीटर संपूर्णानंद टेलिस्कोप की स्वर्ण जयंती धूमधाम से मनाई गई।,,

नैनीताल
• एरीज 104 सेंटीमीटर संपूर्णानंद टेलिस्कोप की स्वर्ण जयंती धूमधाम से मनाई गई।
• महामहिम राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह लेफ्टिनेंट जनरल पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (सेनि.) ने मनौरा पीक ऐरीज में आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में सेवानिवृत 50 प्रोफेसर व कार्मिक को सम्मानित किया।
• राष्ट्रगान जन-गण-मन से कार्यक्रम की शुरुआत व समापन किया गया।

दुनियां में नाम कमाने वाली नैनीताल एरीज में लगी, संपूर्णानंद दूरबीन ने 50 साल का सफर पूरा किया है। 104 सेंटीमीटर इस आप्टिकल दूरबीन स्वर्ण जयंती कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड श्री गुरमीत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (सेनि.) ने शिरकत की, इस कार्यक्रम में खगोल विज्ञान से जुड़े कई वैज्ञानिक शामिल हुए हैं, वही कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने एरीज नैनीताल में अपनी सेवाएं दे चुके, पूर्व 50 कर्मचारियों और अधिकारियों को भी  सम्मानित किया । तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम के द्वितीय दिवस में राज्यपाल ने, अपने अभिभाषण में इतने सालों की संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की। इस कार्यक्रम में पूरे भारत व एरीज सहित 150 वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे है। उन्होंने कहा कि एरीज अग्रणी अनुसंधान संस्थानों में से एक है, जो अवलोकन संबंधी खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में विशेषज्ञता रखता है।

• राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह ने एरीज में आयोजित कार्यक्रम में वैज्ञानिकों का दिल की गहराइयों से आभार, प्रशंसा और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आगामी वर्षों में एरीज नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। भारत को विश्व गुरु बनाने में वैज्ञानिकों की अहम भूमिका रही है।

• एरीज के निदेशक प्रोफेसर डॉ दीपांकर बैनर्जी ने एरीज की 50 वर्ष की स्वर्णिम उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए सर्वप्रथम भारत सरकार तथा सभी अन्य संस्था द्वारा दिये गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। कहा कि विश्व पटल में अपने योगदान से एरीज संस्था को ऊपर पायदान पर ले जाने वाले संस्था के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक और कार्मिकों को सम्मान करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है, जो स्वयं में अभूतपूर्व है। श्री बैनर्जी ने संस्था की गतिविधियों जैसे; स्टार-क्लस्टर्स, युवा स्टार-फॉर्मिंग क्षेत्रों, क्षेत्रों और ब्राउन ड्वार्फ्स, गामा-रे-बर्स्ट (GRBs) के ऑप्टिकल समकक्ष, सुपरनोवा और एक्स-रे स्रोतों का अध्ययन, खुले क्लस्टर्स के पोलारिमेट्रिक अध्ययन, स्टार-फॉर्मिंग क्षेत्र का वीडियो के माध्यम से प्रदर्शित किया। उन्होंने बताया कि अब तक,पिछले दशकों में 104 सेमी संपूर्णानंद टेलीस्कोप से अंतराष्ट्रीय स्तर 5 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर 400 शोध पत्र छपे हैं। 1972 से स्थापित इस दूरबीन ने तब से लेकर अब तक खासा नाम कमाया और आज पर्यटकों के लिये भी आकृर्षण का केन्द्र हैं।
उन्होंने बताया कि भारत में खगोलीय विज्ञान अनुसंधान में ‘एरीज’ ने काफी योगदान दिया है।अब तक इसमें नए तारों की खोज, नई घटनाएं जैसे- माइक्रोलेंसिंग को भी ऑब्जर्व किया गया है। इसके साथ ही गामा किरण महाविस्फोट, तारों की अधोगति, हमारी और दूसरी गैलेक्सीज़ और खगोलीय पिंड में शोध कार्य हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे सोलर सिस्टम में मौजूद यूरेनस प्लेनेट की रिंग को खोजने में भी ‘एरीज’ का बड़ा योगदान रहा है। यहां छात्रों को शोध के लिए आमंत्रित किया जाता है। छात्र खगोल विज्ञान और वायुमंडल विज्ञान में रिसर्च कर सकते हैं। लगभग 6 से 10 छात्रों को हर साल यहां शोध के लिए आमंत्रित किया जाता है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल, वरिष्ठ वैज्ञानिक सेवानिवृत्त डॉक्टर बी बी सनवाल, डॉ बृजेश कुमार,डॉ शशिभूषण पांडेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट, पुलिस अधीक्षक हरबंस सिंह, अपरजिलाधिकारी शिव चरण द्विवेदी, उपजिलाधिकारी राहुल शाह, योगेश सिंह सहित एरीज के प्रोफेसर, स्कॉलर व कार्मिक उपस्थित थे।


Continue Reading
You may also like...
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखण्ड

Trending News

Follow Facebook Page