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उत्तराखण्ड

परिवहन विभाग का चालक सरकारी बस से डीजल निकलता हुआ,

सरकारी नौकरी जो हर व्यक्ति को नही मिलती है अगर मिलती तो वह उसे किस तरह से निभाता है,ये उस पर निर्भर करता है, आज सरकारी नौकरी का किस तरह से सम्मान किया जाता हैं ये आप तस्वीरों में देख सकते हैं बताया जाता है कि ये बस टनकपुर डिपो की है ,,सरकारी सेवाओं का मतलब जनता की सेवा करना है और जनता के लिए कार्य करना ,हम बात करते हैं उत्तराखंड परिवहन विभाग की जो एक सरकार का एक उपक्रम है और जनता की सेवा में अग्रसर रहता है ये वो महत्पूर्ण विभाग है कि।अमूमन हर व्यक्ति को बस में सफर करना पड़ता है,इस तस्वीर में आपको नजर आ रहा होगा कि एक बस चालक को अपनी बस का डीजल निकाल रहा है, यानी कि चोरी कर रहा है,जो एक सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहा है,क्या उसको पगार नही मिलती है जो ये सरकारी बस का डीजल निकाल रहा है,ये ही हमारा कर्तव्य बनता है कि कितनी ईमानदारी से अपनी सेवाओं को निभा रहे हैं ,पर भरोसा नहीं है हमारी आवश्यकताओं ने हमें चारित्रिक रूप धारण करने को मजबूर कर दिया है ये डीजल निकालने में भी किसी का अधिकारी का हाथ जरूर होगा क्योंकि चालक को। बस की किलोमीटर के हिसाब से माइलेज देनी पड़ती हैं विभाग द्वारा नियुक्त फोरमैन जो कि हर बसों की माइलेज चैक करता है कि एक लीटर में कितने किलोमीटर का एवरेज देती है फिर उसी हिसाब से हर बस का माइलेज निकाला जाता है,अगर बस का माइलेज में फर्क आता है तो चालक की जवाबदेही होती हैं कि बस में कोई तकनीकी खराबी तो नही है,अगर इस तरह से ये चालक बसों से डीजल निकाल कर बेचेंगे तो विभाग एक दिन जरूर दिवालिया घोषित हो सकता है ये कारण है कि आज परिवहन विभाग जो घाटे से उबर नहीं पा रहा है, ऐसे चालको को सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए जो सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं,ये पैसा, आम जनमानस से इक्कठा किया जाता हैं तभी इन।कर्मचारियों को पगार दी जाती है,

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