उत्तराखण्ड
शहर में लकड़ी बैंक भी खोला जाना चाहिए डॉ संतोष मिश्र
आपने प्रायः देखा होगा कि गरीबी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी जुटाना भी मुश्किल होता है। घर के किसी सदस्य के अचानक गुजर जाने के बाद लोगों से मदद के लिए हाथ फैलाना पड़ता है। गरीबों की इस परेशानी को दूर करने के लिए और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पूर्ण कराने के उद्देश्य से एमबीपीजी कालेज से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त प्राध्यापक डॉ. सन्तोष मिश्र ने शहर की सभी सामाजिक संस्थाओं को पत्र लिखा है। डॉ. मिश्र को भरोसा है कि हल्द्वानी शहर के मानवतावादी लोग आपसी विचार विमर्श के उपरांत लकड़ी बैंक की स्थापना अवश्य करेंगे। बातचीत में उन्होंने बताया कि हल्द्वानी में जिस प्रकार अन्न धारा, रोटी बैंक, थाल सेवा, उपचार सेवा, बुक बैंक, रिश्तों की गर्माहट, कपड़ा बैंक के द्वारा ज़रूरतमंद लोगों की सहायता की जा रही है, इसी प्रकार लकड़ी बैंक की शुरुआत से गरीब परिवार को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी। कड़ाके की ठंड में ठिठुरते लोगों को गर्माहट प्रदान करने के लिए इसी बैंक से आसानी से जलाऊ लकड़ी भी दी जा सकती है।
डॉ. सन्तोष मिश्र ने इन्हें प्रेषित किया है पत्र
स्वर्गीय बालकिशन देवकी जोशी निस्वार्थ जन सेवा समिति के योगेश जोशी, हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 के अमित खोलिया, पुनर्नवा महिला समिति की लता बोरा, हल्द्वानी ऑनलाइन संस्था के दिनेश ल्वेशाली, वंदे मातरम के शैलेन्द्र दानू, सारथी फाउंडेशन की सुमित्रा प्रसाद, रवि रोटी बैंक के तरुण सक्सेना, लिटिल मिरेकल फाउंडेशन संस्था के दिनेश मानसेरा, दिशा के राजीव अग्रवाल, अनमोल सिद्धि फाउंडेशन की सुचित्रा जायसवाल, सौहार्द जन सेवा समिति की विद्या महतोलिया, गणेश कपड़ा बैंक के सुरेश अधिकारी, सेल्फ रिलायंस इनिशिएटिव की तनुजा जोशी, समाजसेवी संगठन यूके के हेमन्त गौनिया, एक नई दिशा के विजय पाल, कल्याणी की तनुजा मेलकानी, लिटिल फ्लावर की शांति जीना, आकृति सोसायटी की कुसुम दिगारी, सिंथिया के प्रवीन्द्र रौतेला, इंस्प्रेशन के दीपक बलूटिया, रोशनी सोसायटी की शिवानी पाल आदि।