उत्तराखण्ड
समस्त धर्म ग्रंथों का मूल है सत्संग महात्मा सत्यबोधानंद
अजय उप्रेती लालकुआ
समस्त धर्म ग्रंथों का मूल है सत्संग महात्मा सत्यबोधानंद
रुद्रपुर मानव धर्म के प्रणेता सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के आत्म अनुभवी शिष्य महात्मा सत्यबोधानंद जी ने कहा कि सत्संग ही समस्त धर्म ग्रंथों का मूल है उन्होंने कहा कि भगवान राम के अनन्य भक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी सत्संग की महिमा का बखान करते हुए कहा है कि सतसंगत मुद मंगल मूला सोई फल सिधि सब साधन फूला
महात्मा सत्यबोधानंद यहां सिडकुल ढलान स्थित श्री राम मार्केट में नवनिर्मित अपना होटल के शुभारंभ अवसर पर आयोजित सत्संग व्याख्यान माला में बौद्धिक दे रहे थे उन्होंने कहा कि श्रीमती मनीषा गुप्ता और संजीव गुप्ता निश्चित रूप से परम सौभाग्यशाली हैं कि उन्होंने नवनिर्मित प्रतिष्ठान के शुभ अवसर पर ज्ञान गंगा का आयोजन कराया निश्चित रूप से उनके जीवन में सदैव सदगुरुदेव की कृपा बरसती रहेगी और सदैव संत महात्माओं का आशीर्वाद मिलता रहेगा उन्होंने कहा कि सत्संग के आयोजन से व्यक्ति को आत्म तत्व का बोध होता है तथा उसके अंदर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है वह तीन प्रकार की प्रकृति सत रज और तम इन तीनों से ऊपर उठ जाता है और उसे ब्रह्म तत्व का ज्ञान होता है ऐसा व्यक्ति सदैव परमार्थ की ओर अपना जीवन व्यतीत करता है इस अवसर पर महात्मा प्रचारिका बाई और महात्मा प्रभाकरानंद जी ने भी सत्संग को ज्ञान भक्ति वैराग्य और मोक्ष का साधन बताते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन में संगत का बहुत बड़ा प्रभाव होता है और सत्संग के माध्यम से रत्नाकर जैसे डाकू महर्षि बाल्मीकि बन जाते हैं और उंगलीमाल जैसे दस्यु सम्राट धर्म प्रचारक बन जाते हैं इस दौरान श्रीमती मनीषा गुप्ता और संजीव गुप्ता ने उपस्थित प्रेमी जनों का आभार व्यक्त किया और संत महात्माओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की