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उत्तराखण्ड

पंचायतों को वन अधिकार अधिनियम के दायरे में लाने के लिए प्रयास करने का भी संकल्प लिया गया

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भवाली। वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए हुए सरपंच तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक भवाली में आयोजित की गई। बैठक में वन पंचायतों से जुड़ी हुई समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई। तथा 18 दिसंबर को प्रत्येक जिले में वन पंचायतों की समस्याओं के संदर्भ में ज्ञापन देने हुए थे, एक धरना जिला मुख्यालय में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। गणेश जोशी अध्यक्ष सरपंच संगठन अल्मोड़ा की अध्यक्षता में हुई बैठक में बागेश्वर सरपंच संगठन के अध्यक्ष श्री पूरन रावल जी ने विस्तार से वन पंचायतों के सम्मुख आ रही परेशानियों का विवरण रखा उन्होंने यह भी बताया कि बागेश्वर जिले में सरपंचों की अनुमति के बगैर वन विभाग के द्वारा क्षति पूर्ति वृक्षारोपण किया जा रहा है इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया की जिलाधिकारी द्वारा बैठक कर इसकी जानकारी दी गई है। इस पर बैठक में चर्चा हुई और यह निष्कर्ष निकल कर आया कि वन अधिकार अधिनियम लागू होने के पश्चात किसी भी तरह का क्षति पूर्ति वृक्षारोपण बगैर ग्राम सभा की अनुमति के नहीं किया जा सकता है। ऐसी कोई भी कार्रवाई अवैध होगी, बैठक में चंपावत से आए हुए सरपंच श्री दान सिंह जी ने सरपंचों को मानदेय देने का सुझाव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। इसके साथ ही वन पंचायतों को वन अधिकार अधिनियम के दायरे में लाने के लिए प्रयास करने का भी संकल्प लिया गया 18 दिसंबर को राज्य के सभी जिलों जिला मुख्यालय में एक दिवसीय धरने का आयोजन के संदर्भ में ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया। बैठक में तरूण जोशी संयोजक ने कैम्पा में जमा पैसा वन पंचायतो को देने की बात कही। वही आगामी चुनावो में सरकार को घेरने की बात कही।पूरन सिंह रावल ने धरने के साथ सरकार को सबक सिखाने की बात की व कोर्ट जाने की बात रखी। वन पंचायत संघर्ष मोर्चा उत्तराखंड गोपाल लोधियाल, तरुण जोशी, पूरन सिंह रावल, ईश्वर जोशी, हेमा और 25वन पंचायतों के सरपंचों ने हिस्सा लिया।

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