उत्तराखण्ड
“रेबीज: तथ्य, डर नहीं” लोगों से डर को खत्म करने और उन्हें तथ्यों के साथ सशक्त बनाने पर आधारित है
आज ,, विश्व रैबीज दिवस का आयोजन कार्यलय मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल पर किया गया जिसमे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ भागीरथी जोशी द्वारा जागरूकता लाने हेतु बताया गया कि रेबीज और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘विश्व रेबीज दिवस’ मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य बीमारी के बारे में ज्ञान को बढ़ाना है और इसे कई देशों में मनाया जाता है. 28 सितंबर, प्रतिवर्ष ‘विश्व रेबीज दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
विश्व रेबीज दिवस’ के लिए इस वर्ष का विषय है: “रेबीज: तथ्य, डर नहीं” लोगों से डर को खत्म करने और उन्हें तथ्यों के साथ सशक्त बनाने पर आधारित है. इस वर्ष की थीम रेबीज के बारे में तथ्यों को साझा करने पर केंद्रित है। डॉ अजय शर्मा नोडल अधिकारी द्धारा अवगत कराया गया रेबीज का वायरस संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों (salivary glands) में मौजूद होता है. जब ये संक्रमित जानवर (infected animal) किसी को भी काटता है तो ये वायरस घाव के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है. फिर मस्तिष्क तक पहुंचता है।
डॉ अजय शर्मा द्वारा बताया कि जानवर के काटने पर घाव को साबुन से 10 मिंट तक भली भांति धोये, घाव पर एंटीसेप्टिक दवा/क्रीम/मलहम आदि लगाये, तुरंत नजदीकी चिकित्सालय पर परामर्श ले, बचाव हेतु रैबीज रोधक टिका अवश्य लगवाये, घाव पर पट्टी न लगाये , घाव पर टांका न लगाये, बिना किसी चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार न करे , रैबीज का टीका सरकारी अस्पताल पर निशुल्क लगया जाता है लक्षण
-जानवरो मैं रैबीज के यह लक्षण पाये जाते है मुंह से लार टपकती रहती है।बेचैन रहता है।आंखें लाल रहती हैं।लोगों को काटने दौड़ता है।सांस लेने में दिक्कत होती है।दस दिन के भीतर उसकी मौत हो सकती है।
इंसान में रेबीज के लक्षण
बेचैनी,खाना-पानी निगलने में दिक्कत होना।सांस लेनें में दिक्कत । इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ आर0पी0एस0 नेगी, डॉ तरुण कुमार, डॉ जगदीश जोशी, मदन महेरा, बच्चन कालाकोटी, पंकज तिवारी हरेन्द्र, दीवान बिष्ट, सपना, सिवनी, दीपेश, चेतन, पवन, सहित कार्यलय स्टाफ उपस्थित थे