उत्तराखण्ड
ऐक्टू का नैनीताल जिला सम्मेलन संपन्न
• ऐक्टू का नैनीताल जिला सम्मेलन संपन्न
• जोगेंद्र लाल को जिला अध्यक्ष व मुन्नी बिष्ट को जिला महामंत्री चुना गया
• साम्प्रदायिक नफरत व बंटवारे की राजनीति के खिलाफ खड़े होने और अपने अधिकार बहाली के संघर्ष तेज करने का संकल्प
ऐक्टू का नैनीताल जिला सम्मेलन हल्द्वानी के नगर निगम सभागार संपन्न हुआ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भाकपा (माले) के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “भारत में मोदी सरकार ने न केवल मजदूरों को बदहाली की ओर धकेल दिया है और लोगों के सभी हितों से हठपूर्वक इन्कार कर रही है, बल्कि वह जनता पर विभाजनकारी व विध्वंसकारी एजेंडा थोपकर उन्हें और भी ज्यादा चोट पहुंचाने और उनका अपमान करने में मशगूल है. जहां अर्थतंत्र तेजी से तबाह हो रहा है और खाद्य पदार्थों, ईंधन व अन्य बुनियादी जरूरतों की कीमतें सर से ऊपर जा रही हैं वहीं सरकार गरीबों, खासकर
मुस्लिमों के घरों व आजीविका के साधनों पर बुलडोजर
चलवाने, और मंदिरों की खोज व निर्माण करने के नाम पर
मस्जिदों और मकबरों को खुदवाने में जुटी हुई है.”
उन्होंने कहा कि, “यह विभाजनकारी और विध्वंसकारी मुहिम उत्तर
प्रदेश में भाजपा को फिर से मिली जीत के बाद खतरनाक
ढंग से बढ़ गई है. पर्व-त्योहारों को आक्रामक सांप्रदायिक
ध्रुवीकरण के प्रदर्शनों में बदल दिया गया है, और एक के बाद दूसरे राज्य में मुस्लिम घरों व दुकानों पर बुलडोजर
चलाये जा रहे हैं. काशी और मथुरा से लेकर ताजमहल
और कुतुब मीनार तक, संघ ब्रिगेड के हुड़दंगी हर जगह इतिहास को हड़पने के लिए तैयार हो रहे हैं. जो कि भाइचारे की विरासत पर आधारित देश की बुनियादी संरचना पर सीधा हमला है। इसके खिलाफ मजदूर वर्ग को भगतसिंह- अंबेडकर के विचारों पर आधारित एकता बनाते हुए विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ खड़ा होना बेहद जरूरी है। “
ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, “भारत में अभी जो सरकार चल रही है उसने मजदूर वर्ग के सभी हितों को दरकिनार कर दिया है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों को ताक पर रखकर संविधान और लोकतंत्र को ही खतरे में डाल दिया है। लोकतंत्र के इस संकटपूर्ण मोड़ पर सारा दारोमदार आम तौर पर ‘हम, भारत के लोग’ और खास तौर मजदूर वर्ग के कंधों पर आ रहा है, जिन लोगों ने संविधान को अपनाकर भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाने का, और तमाम विपरीत परिस्थितियों में उसे बुलंद
रखने का संकल्प लिया है. सरकार से यह साफ-साफ
जोरदार ढंग से कहने का वक्त आ गया है कि या तो वह
कीमतों पर लगाम लगाये और रोजगार दे या फिर गद्दी
छोड़ दे. हमारे वर्तमान पर आघात पहुंचाने के लिए
मनगढ़ंत अतीत को पेश करने की साजिश को दृढ़तापूर्वक नहीं कहना वक़्त की मांग है।”
बीमा कर्मचारी संघ की ओर से सम्मेलन से एकजुटता प्रकट करने के लिए पहुंचे यूनियन के संयुक्त सचिव एन पी जोशी ने कहा कि, “मोदी सरकार बीमा जैसे सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करके देश की संपत्ति को अपने चहेते पूंजीपतियों को सौंप देना चाहती है। इसके खिलाफ सभी मजदूर संगठनों की एकता वक़्त की मांग है।”
इस अवसर पर मजदूर वर्ग द्वारा अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए खुद को साम्प्रदायिक नफरत व बंटवारे के राजनीति व
बुलडोजर के खिलाफ खड़े होने और अपने अधिकार बहाली के संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया गया।
जिला सम्मेलन में जिला काउंसिल, जिला कार्यकारिणी व पदाधिकारियों का चुनाव किया गया। 31 सदस्यीय काउंसिल ने 12 सदस्यीय कार्यकारिणी को चुना जिसने कि जोगेंद्र लाल को जिला अध्यक्ष, मुन्नी बिष्ट को जिला महामंत्री, दीपक कांडपाल, चन्दन मेहरा, माया देवी, नवीन कांडपाल, कैलाश पांडेय को उपाध्यक्ष, धन सिंह को कोषाध्यक्ष, मनोज आर्य, बची सिंह बिष्ट, किशन बघरी, पंकज दुर्गापाल को उपसचिव चुना गया।
सम्मेलन में संसेरा श्रमिक संगठन, बीएसएनएल ठेका श्रमिक यूनियन, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, कंटोनमेंट बोर्ड कर्मचारी संगठन, बीमा कर्मचारी संघ, जायडस वेलनेस यूनियन, आइसा, भाकपा माले, निर्माण मजदूर यूनियन, बड़वे इंजीनियरिंग वर्कर्स यूनियन, पी डी पी एल यूनियन आदि यूनियनों व संगठनों से जुड़े डॉ संजय शर्मा, दीपक कांडपाल, चन्दन सिंह महरा, नरेंद्र सिंह बानी, मुन्नी बिष्ट, बबीता देवी, छाया आर्य, एन पी जोशी, डॉ कैलाश पांडेय, देवकी भट्ट, ईश्वरी लमगडिय़ा, दमयन्ती तिवारी, निर्मला चंद्र, किशन बघरी, पंकज दुर्गापाल, नवीन कांडपाल, ललित मटियाली, बची सिंह बिष्ट, वीरभद्र सिंह भंडारी, भैरव दत्त रूवाली, धीरज कुमार, कमल जोशी, मनोज आर्य, प्रमोद कुमार, गोपाल गडिया, प्रभुनाथ कुमार, धन सिंह, ललित जोशी, मृत्युंजय शर्मा, प्रकाश सिंह, अरविंद कुमार वर्मा, शैलेन्द्र सिंह, जयपाल सिंह, रितेश प्रजापति, वीरेंद्र भारद्वाज, शिव सिंह, सुनील ठाकुर, राजेन्द्र सिंह बिष्ट, कांता प्रसाद, हरीश सिंह आदि मुख्य रूप से शामिल रहे