उत्तराखण्ड
भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव‘‘ का शुभारंभ
-यूओयू में हुआ 18वीं राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी कांग्रेस का उद्घाटन
हल्द्वानी। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) में उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के “18वें राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिक सम्मेलन” का उद्घाटन करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कहा कि भौतिक एवं लौकिक प्रगति के मूल तत्व भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित है। उन्होंने कहा कि विज्ञान अविष्कार की जननी है परन्तु मूल में ज्ञान परंपरा ही निहित है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन विज्ञान और भारतीय परम्पराओं के बीच सामंजस्य का काम करेगा । जबकि कार्यक्रम को डिजीटल माध्यम से सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा वर्षों पुरानी है। अखण्ड भारत के निर्माण में भारतीय ज्ञान परंपरा का अमूल्य योगदान रहा है। उन्होंने अपने सम्बोधन कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखण्ड देश पहला राज्य है।
उतराखण्ड मुक्त विशवविद्यालय हल्द्वानी में आयोजित दो दिवसीय विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय ‘‘भारतीय ज्ञान विज्ञान परंपरा, विश्व शांति और सद्भाव‘‘ है, जिसका उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच एक समन्वय स्थापित करना है ताकि हम परम्पराओं को संयोजित करते हुए आधुनिकता की ओर अग्रसर हों। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पदमश्री डा. अनिल प्रकाश जोशी ने प्रकृति संरक्षण, इकोनॉमी और इकोलॉजी पर अपने विचार व्यक्त किए । उत्तराखण्ड मुक्त विवि के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपराओं में विज्ञान के मूल तत्व विद्यमान है। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. डीएस रावत ने कहा कि नई शिक्षा नीति का हवाला देते हुए कहा कि हमें अपनी पुरातन परंपराओं को भी संरक्षित करना होगा। दून विवि की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने नई शिक्षा नीति, स्थानीय भाषाओं का महत्व, वैदिक ज्ञान और वर्तमान समय में उसकी उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए । इसके साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एजुकेटर कोन्कलेव, डायरेक्टरस कोन्कलेव, भारतीय ज्ञान परम्परा पर मंथन सत्र, पारम्परिक ज्ञान और आध्यात्म पर विचार मंथन सत्र का भी आयोजन किया गया । आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक डा दीपांकर बैनर्जी ने आदित्य एल वन मिशन और उससे जुड़ी तकनीकी और स्पेस वैदर तकनीक से जानकारी से सबको अवगत कराया । मुम्बई से आये फिल्म अभिनेता दिलीप ताहिल ने फिल्म इंडस्ट्री और अध्यात्म विषय पर एक व्याख्यान दिया । यूकास्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि यह कांग्रेस हमारे पारम्परिक और वैदिक ज्ञान को पहचान दिलाने का काम करेगी । उन्होंने कहा यह विज्ञान कांग्रेस भारतीय पारंपरिक ज्ञान को फिर से पुनर्जीवित और प्रदर्शित करने का भी एक प्रयास है। कार्यक्रम के दौरान राज्य में स्थित केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभिन्न संस्थानों द्वारा उनके विशिष्ट कार्यों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई । कार्यक्रम में राज्यभर से आए 400 से अधिक शोधार्थी, विभिन्न शिक्षण और शोध संस्थाओं के वैज्ञानिक, शिक्षाविद और विशेषज्ञ शामिल हुए । साथ ही राज्य के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भी प्रतिभाग किया।
इसके साथ ही विज्ञान कांग्रेस में कृषि, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन विज्ञान, गृह विज्ञान, भूविज्ञान, गणित, अभियांत्रिकी, भौतिकी, ग्रामीण विज्ञान, जीव विज्ञान आदि विषयों में उत्तराखंड के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी कॉलेजों में अध्ययनरत /कार्यरत शोधार्थियों और युवा वैज्ञानिकों के शोध कार्यों पर भी तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुपति, निदेशक, प्रोफेसर, कुलसचिव व वैज्ञानिक सहित विभिन्न संगठनों के शोधार्थी व सामाजिक कार्यकर्ता व यूओयू व यूकॉस्ट के लोग मौजूद थे।
-राजेन्द्र सिंह क्वीरा