उत्तराखण्ड
ममता कालिया के कथा साहित्य में मध्यवर्गीय जीवन” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन,,
एम.बी. पी. जी.कालेज हल्द्वानी के हिन्दी विभाग में प्रख्यात साहित्यकार ममता कालिया के जन्मदिन के अवसर पर “ममता कालिया के कथा साहित्य में मध्यवर्गीय जीवन” विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ. एन. एस.बनकोटी ने कहा कि ममता कालिया एक प्रतिभाशाली कथाकार हैं।उन्होंने भारतीय संदर्भ में स्त्री की दोयम दर्जे की स्थिति को बेहद ही संवेदनशील ढंग से चित्रित किया है। डॉ. अनिता जोशी की कहा कि ममता कालिया की कहानियों में नारी पात्र अस्तित्वहीन होकर अपने अस्तित्व की तलाश में निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। डॉ.चंद्रा खत्री ने राजू कहानी का पाठ प्रस्तुत किया।राजू कहानी में विधवा बेटी परिवार में इसलिए उपेक्षित होती है क्योंकि वह गरीब और विधवा नारी है। डॉ.देवयानी भट्ट ने कहा कि नारी ने अपनी मेहनत द्वारा अपने अस्तित्व की अलग पहचान बनाई है। डॉ.विमला सिंह ने कहा कि ममता कालिया ने कहानी,नाटक,उपन्यास,निबन्ध,कविता और पत्रकारिता सभी विधाओं में अपनी लेखनी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डॉ.जगदीश चन्द्र जोशी ने कहा कि ममता कालिया ने रोजमर्रा के संघर्ष में युद्धरत स्त्री का व्यक्तित्व उभारा है। डॉ.आशा हर्बोला ने कहा कि ममता कालिया की कहानियों में स्त्री पुरुष संघर्ष सामाजिक संदर्भों में विकट और महत्तर हैं। डॉ. जय श्री भंडारी ने दुक्खम सुक्खम उपन्यास का संदर्भ प्रस्तुत कर कहा कि स्त्री के लिए घर परिवार एक किस्म का आजीवन कारावास है।गोष्ठी का संचालन शोध छात्र महेश पंत ने किया।