उत्तराखण्ड
ब्रेन ट्यूमर कैसे होता है, क्या हैं इसके लक्षण और कैसे होता है इलाज, जानिए सबकुछ,,
हल्द्वानी: ब्रेन ट्यूमर असामान्य वृद्धि होती है जो दिमाग या आसपास के टिशू के अंदर विकसित होती है. ब्रेन ट्यूमर साइज, लोकेशन और आक्रामकता में अलग-अलग भी हो सकते हैं. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली में न्यूरो सर्जरी सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर वीरेंद्र कुमार कहते हैं कि ब्रेन ट्यूमर के बेहतर इलाज के लिए जरूरी है इसके कारणों को समझना, लक्षणों को पहचानना और इलाज के विकल्पों के बारे में पता करना.
ब्रेन ट्यूमर किस कारण होता है इसका काफी हद तक अभी भी पता नहीं चल सका है. लेकिन कुछ रिस्क फैक्टर हैं जिनकी पहचान की गई है. जैसे कि आयनकारी रेडिएशन के संपर्क में आना, ब्रेन ट्यूमर का पारिवारिक इतिहास और कुछ आनुवंशिक कंडीशन, ये वो कारण हैं जिनके चलते ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा रहता है. ब्रेन ट्यूमर को दो प्रकार में बांटा गया है-प्राइमरी और मेटास्टेटिक. प्राइमरी ट्यूमर दिमाग के अंदर ही पनपते हैं जबकि मेटास्टेटिक ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों से दिमाग में आते हैं. प्राइमरी कैटेगरी के ब्रेन ट्यूमर को हल्का या कम घातक माना जाता है लेकिन इसके बाद की स्थिति में ट्यूमर कैंसरस हो जाता है और फिर ज्यादा नुकसानदायक हो जाता है.
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. ये साइज, लोकेशन और ग्रोथ रेट पर निर्भर करते हैं. ब्रेन ट्यूमर के कॉमन लक्षण हैं, लगातार उल्टी के साथ सुबह सवेरे सिरदर्द. इसके अलावा अन्य लक्षणों में लगातार सिरदर्द, दौरे, याददाश्त कमजोर होना, आंखों की रोशनी या सुनने की क्षमता में बदलाव, बोलने या समझने में कठिनाई, मूड या पर्सनैलिटी में बदलाव, और मतली या उल्टी होना भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों में शामिल हैं. ये लक्षण आमतौर पर हल्के भी हो सकते हैं और लोगों को लगता है कि कोई और बीमारी है. लेकिन ध्यान देने की बात ये है कि अगर इनमें से कोई भी लक्षण लगातार बना रहता है या बिगड़ जाता है, तो पूरी कंडीशन को समझने के लिए न्यूरोसर्जन से परामर्श जरूर लें.
ब्रेन ट्यूमर का इलाज भी कई बातों पर निर्भर करता है. जैसे ट्यूमर किस तरह का है, वो किस जगह है, उसका साइज कितना है और मरीज की कंडीशन कैसी है. ट्यूमर का इलाज करने के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड दवाई थेरेपी या फिर इनमें से किसी भी विकल्प को साथ मिलाकर ब्रेन ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है. ट्यूमर को सर्जरी के जरिए निकालने पर ज्यादा जोर दिया जाता है जिनमें माइक्रोस्कोपिक, एंडोस्कोपिक और मिनिमली इनवेसिव प्रक्रियाएं होती हैं. वहीं, जो ट्यूमर सर्जरी के जरिए नहीं निकल पाते हैं उनके लिए आमतौर पर रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है. टारगेटेड दवा थेरेपी में हुए एडवांसमेंट से मरीजों को काफी राहत मिली है और इस प्रक्रिया के बेहतर रिजल्ट आए हैं.
ब्रेन ट्यूमर हेल्थ के लिए काफी रिस्की होता है. ऐसे में इलाज के बेहतर रिजल्ट पाने के लिए जरूरी है कि ट्यूमर का जल्द से जल्द पता लग सके. इसके कारणों, लक्षणों और उपलब्ध इलाज के विकल्पों के बारे में जागरूकता बढ़ने से लोगों के साथ-साथ डॉक्टरों को ब्रेन ट्यूमर को तुरंत पहचानने और उसका समाधान निकालने में मदद मिल सकती है.
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