उत्तराखण्ड
प्रगतिशील भोजनमाता संगठन का अपनी मांगों को लेकर बुद्ध पार्क में धरना ,,
हल्द्वानी। प्रगितशील भोजनमाता संगठन, उत्तराखंड नैनीताल ने 24 फरवरी को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में सभा कर माननीय राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन प्रेषित किया। यूनियन महामंत्री रजनी जोशी ने सभा का संचालन करते हुए कहा कि यूनियन 25 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन कर अपनी मांगे केन्द्र सरकार के समझ रखना चाहते थे| दिल्ली पुलिस- प्रशासन ने हमारी अनुमती खारिज कर हमें प्रदर्शन करने से रोका गया। जो हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करना है। सर्वविदित है कि जंतर मंतर प्रदर्शन स्थल है। मिड-डे-मिल योजना का संचालन केन्द्र सरकार करती है। इस योजना में लगे वर्करों की समस्याओं को हल करना उनकी जिम्मेदारी बनती है।
नैनीताल ब्लॉक अध्यक्ष तुलसी ने कहा कि माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश संख्या-9927/2020 दिनांक 15/12/202 को फैसला दिया कि सरकार कुक कम हैल्पर/रसोईया/मिड-डे-मिल वर्कर से बेगार करवाया जा रहा है| उन्हें तत्काल न्यूनतम वेतन दिया जाएं। देश के किसी भी हाईकोर्ट में हुए फैसले को देश के सभी राज्यों को लागू करना होता है। लेकिन इस फैसले को अभी तक उत्तरप्रदेश में भी लागू नहीं किया गया।
रामनगर ब्लॉक अध्यक्ष शारदा ने कहा कि हम भोजनमाता को मिलने वाले मानदेय मे केन्द्र सरकार मात्र 900 रू० तो राज्य सरकार मात्र 2100 रू०ही देती है| देश के स्तर पर कई राज्यों के कुक कम हैल्पर/रसोईयों/मिड-डे-मिल वर्करों/भोजनमाताओं को मिलने वाली राशी बहुत कम हैं। तो वही देश के पाण्डुचेरी, केरला, तमिलनाडू, लक्ष्यदीप राज्यों को मिलने वाली राशी व उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीगढ़, बिहार, राज्यस्थान जैसे अन्य राज्यों में मिलने वाली राशी में कई गुना फर्क हैं। अतः हम मांग करते हैं कि केन्द्र सरकार कुक कम हैल्पर/रसोईयों/मिड-डे-मिल वर्करों/भोजनमाताओं को मिलने वाली राशी में अपनी भागीदारी बढ़ाएं।
लालकुआँ ब्लॉक अध्यक्ष बंसती ने कहा काम बेहद कुशलता का काम है। हमें केन्द्र व राज्य सरकार के मापदंडों के तहत कुशल श्रेणी के मजदूरों के बराबर वेतन व अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए थी। परंतु इस वक्त हमें अकुशल श्रेणी के मजदूरों के लिए घोषित न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा हैं। हमें ईएसआई, पीएफ, पेंशन, प्रसूती अवकाश जैसी सुविधाएं दी जानी चाहिए।
हल्द्वानी ब्लॉक अध्यक्ष पुष्पा कुड़ई ने कहा वर्तमान सरकार द्वारा महिलाओं के विकास हेतु कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जिसमें देश के हर हिस्से में नारी शक्ति, नारी वन्दना, ईजा-बैणी महोत्सव किए जा रहे हैं। लेकिन देश स्तर पर काम करनी वाली रसोईयों/ भोजनमाताओं की स्थिती दयनीय बनी हुई हैं। रसोईयों/ भोजनमाताओं की आर्थिक स्थिती में सुधार हो इसके लिए केन्द्र सरकार व राज्य सरकार से हम मांग करते हैं। कि भोजनमाताओं को स्थायी रोजगार दिया जाएं।
स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या कम होने व स्कूलों के विलयीकरण की स्थिति में हमें किसी भी समय स्कूल से निकाल दिया जाता है। हम सभी भोजनमाताएं बेहद मानसिक पीड़ा से गुजर रही हैं। हम उम्मीद करते हैं कि राष्ट्रपति महोदय हमारी समस्याओं पर गंभीरता से विचार कल हल करेंगे।
हमारी प्रमुख मांगें निम्न प्रकार हैं-
- केन्द्र सरकार भोजनमाताओं को मिलने वाली राशी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएं।
- भोजनमाताओं को न्यूनतम वेतन दिया जाय।
- स्कूल विलयीकरण व बच्चे कम होने की स्थिती में भोजनमाताओं को स्कूलों से निकालना बंद करो।
- सभी भोजनमाताओं की स्थाई नियुक्ति की जाय।
- भोजनमाताओं को चतुर्थ कर्मचारी घोषित करो।
- स्कूलों में 26 वें विद्यार्थी पर दूसरी भोजनमाता रखी जाय।
- आगबाड़ी व आशा वर्करों की तरह हमें ईएसआई, पीएफ, के साथ-साथ पेंशन, प्रसूती अवकाश जैसी सुविधाएं हम भोजनमाताओं को दी जाय। सभा में प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र, बिन्दु गुप्ता, परिवर्तन कामी छात्र संगठन से महेश, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से मोहन मटियाली के अलावा तुलसी, शीला, दीपा उप्रेती, मीना, सरस्वती, पार्वती देवी, हिरा देवी, भावना देवी, विमला विष्ट, गीता देवी, विमला देवी, नरूली, कलावती,