उत्तराखण्ड
आशाओं का कार्यबहिष्कार छठे दिन भी जारी
• आशाओं का कार्यबहिष्कार छठे दिन भी जारी
आशा वर्करों के साथ किया गया वादा पूरा करो और आशाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 21 हजार वेतन लागू किया जाय, जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाय,सभी आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान करने समेत बारह सूत्रीय मांगों पर चल रहे अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार के छठे दिन भी आशाओं ने आंदोलन जारी रखा।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के वादा पूरा न करने के खिलाफ ‘ऐक्टू’ से संबद्ध ‘उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन’ की आशाएँ 5 अक्टूबर से पुनः बेमियादी कार्यबहिष्कार पर चली गयी हैं।
उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने इस अवसर पर जारी बयान में कहा कि, “सरकार का काम शोषण से रक्षा का होना चाहिये वह सरकार ही आशाओं के श्रम का लगातार शोषण खुद कर रही है। यह बेहद शर्मनाक है।”
यूनियन ने कहा कि, “आशाओं को काम के बदले में मासिक वेतन या कर्मचारी का दर्जा देना तो दूर की बात है, सरकार मानदेय के सवाल पर अपने ही मुख्यमंत्री की बात का सम्मान तक नहीं कर रही है। इससे समझ में आता है कि यह किस तरह की सरकार है। यह सरकार आशा जैसी महिला वर्करों से मुफ्त का कार्यकर्ता जैसा व्यवहार कर रही है।”