उत्तराखण्ड
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डाक्टरों लापरवाही व घोर अवस्था , स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों क्यों नहीं दे रहे जनता के भरपूर संसाधनों पर ध्यान ।
RS gill
Reporter
सितारगंज के सबसे बडे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 12,14 डाक्टरों के पद सृजित हैं।पर देखने में तो सरकार अस्पताल लगता है कि मरीजों की हर प्रकार से स्वास्थ्य विभाग के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर केवल. नाम मात्र दायित्व निभा रहे हैं। चिकित्सा अधीक्षक के कहे अनुसार चार महिला डॉक्टर की नियुक्ति है पर एक दो या तीन महिला डॉक्टर मौके पर तैनात मिलती हैं ।व पुरुष डाक्टरों में कभी एक व कभी शून्य ही रहता है।पता नहीं चलता है कि सितारगंज सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र पर प्रशासन किस गफलत की नींद में सो रहा है।एक आक्सीजन प्लांट लगाकर इति श्री कर जाने बडा कार्य कर लिया हो।
इस समय अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर की पद की खाली पडी इंतज़ार कर रही है।अधीक्षक राकेश आर्य का कहना है।एक डॉक्टर नौकरी छोडकर चला गया है व एक डॉक्टर लापता है।इससे पता चलता है कि यहां पर प्रशासन जनता के प्रति घोर लापरवाही बरतने का काम कर रहा है।अस्पताल पुराने भवन को सात आठ महीने पहले यह कहकर ध्वस्त कर दिया था कि बालाजी एक्शन कंपनी जनता के बीच में आधुनिक तकनीक से सरकारी अस्पताल निर्माण करने जा रही है ।लेकिन आजतक अस्पताल के भवन की नीव भी नहीं इतिश्री नहीं की जा सकी है ।
एक पत्रकार ने सितारगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से डाक्टरों की मौके पर तैनाती की लिस्ट माँगो तो अधीक्षक टालमटोल करने लगे ।कि क्या करना है लिस्ट का सब आपके सामने है।इससे पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग अपनी नाकामी को छिपा रहा है।कि कितने कमरों में कितने डॉक्टर अपनी सेवा निभा रहे हैं।सब गोलमाल हो रहा है।कोई पूछने वाला नहीं है।न कोई उच्च स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी न राजनेता जनता को भरपूर सेवा उपलब्ध कराने से कन्नी काट रहे हैं।सितारगंज क्षेत्र काफी बडा विधानसभा क्षेत्र है।अस्पताल में मरीजों की भीड़ हमेशा लगी रहती हैं ।लेकिन अच्छे डाक्टरों की इह समय काफी आवश्यकता है ।अस्पताल में एक विचारा डॉक्टर अपनी बीमारी अवस्था में ड्यूटी कर रहा है।कभी कभी उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।वह मरीजों को दूसरे अस्पताल में रेफर कर इलाज कराने की सलाह देता है।
प्रशासन को चाहिए बीमार डॉक्टर को उसको रिटायर कर देना चाहिए ।वैसे कुर्सी पर बैठे बैठे बोर हो जाता है व मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।
पर अधीक्षक व जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टरों संख्या बढाने व विशेषज्ञ डॉक्टर नियुक्ति करने में नाकाम रहे हैं।
अस्पताल में फ्लैक्स बोर्ड लगा दिया गया है कि अस्पताल का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
लेकिन सच कुछ और ही है।मिट्टी परीक्षण में पास होने पर भी कभी तक नीव का शुभारंभ भी नहीं किया गया है।सब व्यवस्था तितर बितर हो रही है।मनमानी व घोर लापरवाही बरती जा रही है।डॉक्टर अच्छी तरह से पैथालॉजी रिपोर्ट नहीं देखते हैं ।रिपोर्ट बिना देखे कहते हैं कि आपको किया परेशानी है जबकि रिपोर्ट की गहनता से जांच कर रोगों को पकडकर दवा लिखनी चाहिए।जनता को सरकार से या स्वास्थ्य विभाग प्रश्न पुछने का पूरा संवैधानिक अधिकार है।लेकिन अधीक्षक महोदय डाक्टरों की पूरी डिटेल उपलब्ध नहीं करा हैं।।कि कितने डॉक्टर कहां पर तैनात है व ड्यूटी कर रहे हैं।जनता कई प्रकार के मेडिकल सर्टिफिकेट ,महिलाओं के जच्चा बच्चा की योजना में कुछ खामियां देखने मै आ रही हैं। बे वजह परेशान होना पडता है।स्टाफ तथा कमरों की बहुत बडी कमी से कार्य करने में दिक्कत आ रही है।यहाँ से पुराने महिला अस्पताल दबंगों ने चारदीवारी की ओर दरवाजे लगाकर कब्जा जमा रहे हैं लेकिन अस्पताल की बेशकीमती जमीन को बचाने में स्वास्थ्य विभाग व अधिकारियों की बहुत बडी भूल साबित होगी।
वहाँ पर जनता के लिए कोई लाभान्वित संस्था लगाकर सरकार को उपयोग में लाना चाहिए।या डाक्टरों व स्टाफ हेतु भवन निर्माण करना चाहिए।या कोई उद्योग लगाकर बेरोजगारी दूर कर जनता को लाभान्वित करना चाहिए।