उत्तराखण्ड
दीवा मेरा एक नाम दुख विच पाया तेल ,उन चानण ओह सोख्या चुका जम सिउ मेल
दीवा मेरा एक नाम दुख विच पाया तेल ,उन चानण ओह सोख्या चुका जम सिउ मेल
आज दिनांक 20.9.22 को गुरद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा मे साहिब श्री गुरु नानक देव जी का जोति जोत पूरब गुरबाणी,कथा व्याख्यान के साथ मनाया गया।सुबह 8 बजे से 9 बजे तक संगती रूप में साहिब श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के संबंध में रखे गए श्री सहज पाठ का पाठ हुआ।उपरन्त 10.30 बजे गुरु साहिब के जोति जोत पूरब के संबंध में रखे गए विशेष प्रोग्राम की शुरुवात हुई।सर्वप्रथम हजूरी रागी भाई परमजीत सिंघ व साथियों ने मनोहर कीर्तन करा।उसके बाद श्री नानकमत्ता साहिब से आये प्रचारक भाई गुरसेवक सिंघ जी ने गुरु साहिब के जीवन के बारे में विस्थार से समझाया।उनोहने बताया कि गुरु साहिब के आगमन से पहले दुनिया मे ऊंच नीच का बहुत बोल बाला था।इन्सान को 4 वर्ण में बांटा हुआ था।गुरु साहिब ने धर्मिक आगुओ को समझाया कि प्रभु ने सब को एक जैसा बनाया है कोई बड़ा- छोटा ऊंच- नीच नही है।गुरु साहिब ने गुरबाणी में फुरमाया ” नीचा अंदर नीच जात,नीची हूं अत नीच, नानक तिन कै संग साथ वडया सिउ क्या रीस।जिथै नीच समालियन तिथै नदर तेरी बख्शीश“.गुरु साहिब ने शुद्र नीच समझे जाने वालो को गले से लगाया।जहाँ गुरु साहिब ने एक साथ बैठ के लंगर छकने की मर्यादा का आगाज करा वही आगे तीसरे जामे में बाउली,सरोवर बना के ऊंच- नीच के भेद को मिटा दिया।जहाँ वक्त के धार्मिक पैरोकारों ने अनेक भगवान बताए वहाँ धन गुरु नानक जी ने इक ओंकार का सिद्धांत पेश किया।जिसका अर्थ है कि परमात्मा एक है और वह सब मे एक रस व्यापक है।आज कई अज्ञानी गुरु साहिब के जोति जोत पूरब को गुरु साहिब का श्राद्ध कह कर संबोधन करते है जो कि उनकी मूर्खता,व अज्ञान को दर्शाता है।गुरु साहिब ने हरिद्वार की साखी द्वारा इस भ्रांति का पुरजोर खंडन करा और समझाया कि मरण उपरन्त कोई भी चीज़ हमारे पूर्वजों को नही मिलती इसलिए जीते जी हमे अपने बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए।गुरु साहिब ने दुनिया को इंसानियत का पाठ पढ़ाया।इस उपदेश का अनुसरण करते हुए आज भी जहाँ कही भी सिख रहते है दो वक्त की अरदास में यह कहते है ” नानक नाम चढ़दी कला,तेरे भाड़े सरबत दा भला“
कथावाचक जी के बाद भाई कुलवंत सिंघ रंगीला गुरद्वारा नानकपुरी साहिब टांडा से आये ने मनोहर कीर्तन कर के सारा वातावरण भक्ति के रंग में रंग दिया।उनोहने शब्द ऐसे गुर को बल बल जाईये आप मुकत मोहे तारे
व प्रगट भई सगले जुग अंतर,गुर नानक की वडयायी
आदि शब्दो का गायन करा।संगत ने भी भाई साहिब के साथ कीर्तन गायन करा।उपरन्त हुजरी हेड ग्रंथि भाई अमरीक सिंघ जी ने अरदास व हुकमनामा ले कर दिवान की सम्पूर्णता करी।समूह संगत ने कड़ाह परशाद व लंगर छक कर गुरु साहिब का धन्यवाद करा।प्रोग्राम में स.रंजीत सिंघ मुखसेवादर,स जगजीत सिंघ,रविंदरपाल सिंघ,अमनदीप सिंघ पिंडी,जगमोहन सिंघ राजू,सतपाल सिंघ,बलविंदर सिंघ, महेंद्र सिंघ ,बलजीत सिंघ आत्मजीत सिंघ,बलविंदर सिंघ धवन,रोशी आदि मौजूद रहे।